तीन माह के उतार-चढ़ाव के बाद अब सुकून की तरफ बढ़ रहा UK, रिकवरी रेट सुधरने से मिली काफी राहत

 प्रदेश में कोरोना की दस्तक हुए तीन माह का वक्त बीच चुका है। इस दौरान हर अंतराल पर मामले बढ़े और चुनौतियां भी। पर अच्छी बात यह है कि सैंपलिंग और जांच का दायरा भी नियमित रूप से बढ़ता गया। जितनी ज्यादा सैंपलिंग हुई, उसी रफ्तार से पॉजिटिव केस भी सामने आए। एक समय इस बीमारी का बोझ जरूर बढ़ा, पर अब रिकवर होने वालों की संख्या भी तेजी से बढ़ती जा रही है। एक वक्त पर स्थिति भयावह होती दिख रही थी, लेकिन धीरे-धीरे ही सही अब हालात नियंत्रण में आते दिख रहे हैं।

उत्तराखंड में कोरोना का पहला मामला 15 मार्च को सामने आया था। शुरुआती दौर में संक्रमण को लेकर स्थिति नियंत्रण में थी, लेकिन जमातियों के यहां पहुंचने के बाद से मामले तेजी से बढ़ने शुरू हो गए और ग्राफ ऊपर चढ़ गया। फिर किसी तरह से हालात पर काबू पाया, लेकिन लॉकडाउन-3 में मिली छूट के बाद प्रवासियों के लौटने का सिलसिला शुरू हुआ, तो कोरोना वायरस का प्रसार कई गुना बढ़ गया। स्थिति दिनोंदिन भयावह होती चली गई। यहां तक कि शुरुआती दौर में कोरोना मुक्त रहे प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्र भी इस बीमारी की जद में आ गए।

जहां एक वक्त पर उत्तराखंड संक्रमण दर, रिकवरी रेट, डबलिंग रेट आदि में देश से बेहतर स्थिति में खड़ा दिख रहा था, वहीं, एकाएक पूरी गणित गड़बड़ा गई। एक तरफ जहां संक्रमण दर लगातार बढ़ी, वहीं रिकवरी रेट भी गिरता चला गया। इसने न केवल नीति नियंताओं बल्कि आम जन को भी चिंता में डाल दिया। पर बीते एक पखवाड़े से स्वस्थ होने वाले मरीजों की तादाद लगातार बढ़ी है।

 

रिकवरी रेट जो एक बारगी घटकर 13 फीसद से भी नीचे पहुंच गया था वह अब वापस 60 फीसद के करीब आ गया है। संक्रमण दर मौजूदा वक्त में चार फीसद से ऊपर है पर इसे इस रूप में समझा जाना चाहिए कि कोरोना के कुचक्र को तोड़ने के लिए ज्यादा सैंपलिंग जरूरी है। सैंपलिंग बढ़ेगी तो मरीजों का ग्राफ भी उसी अनुपात में बढ़ेगा। भविष्य की आशंकाओं को समाप्त करने के लिए इस स्थिति से आज नहीं तो कल गुजरना ही होगा।

मौत का बढ़ता आंकड़ा बढ़ा रहा चिंता

उत्तराखंड में जहां रिकवरी रेट को लेकर सुकून है, मौत का बढ़ता आंकड़ा चिंता बढ़ा रहा है। लॉकडाउन-3 से पहले तक जहां प्रदेश में केवल एक मरीज की मौत हुई थी, यह संख्या अब 25 पहुंच गई है। चिंताजनक यह है कि इनमें 20 मौतें पिछले एक पखवाड़े में हुई हैं। एक वक्त पर मृत्यु दर एक फीसद से नीचे थी जो अब 1.37 प्रतिशत पहुंच गई है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार अभी तक मरने वालों में बुजुर्ग और बीमार लोग ज्यादा हैं। पर मरीजों का यह आंकड़ा चिंता जरूर बढ़ा रहा है।

क्वारंटाइन सेंटरों में होती मौतें भी चिंता का कारण

प्रदेश में एक बड़ी चिंता क्वारंटाइन सेंटरों को लेकर उपजी है। लॉकडाउन-3 में मिली छूट के बाद सैकड़ों की संख्या में प्रवासी उत्तराखंड लौटे। ऐसे में काफी संख्या में लोग क्वारंटाइन भी किए गए। पर क्वारंटाइन सेंटरों की अव्यवस्थाओं को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं। चिंताजनक पहलू यह है कि अब तक प्रदेश में विभिन्न क्वारंटाइन सेंटरों में तकरीबन 15 लोगों की मौत हो चुकी है।

उत्तराखंड में कोरोना के विभिन्न चरण

  • प्रथम चरण: विदेश से लौटे लोग
  • द्वितीय चरण: जमाती और उनके संपर्क में आए लोग
  • तीसरा चरण: मिश्रित (एम्स और अन्य मामले)
  • चौथा चरण: अन्य राज्यों से लौटे प्रवासी और स्थानीय स्तर आए मामले
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