घाटी में तीन साल में करीब 280 युवकों ने विभिन्न आतंकी संगठनों का दामन थामा है। हिजबुल आतंकी और पोस्टर ब्वाय बुरहान वानी के मारे जाने के बाद युवाओं के आतंकी बनने की संख्या में जबरदस्त इजाफा दर्ज हुआ है। बुरहान युवाओं को बंदूक और ग्लैमर की दुनिया के साथ जोड़ कर दिखाता था।
मंगलवार को विधानसभा में नेशनल कांफ्रेंस के नेता अली मोहम्मद सागर के सवाल पर सरकार ने भी माना कि 2015 में 66, 2016 में 88, 2017 में 126 युवक आतंकी बने। 2017 में ये आंकड़ा तेजी के साथ बढ़कर सौ को पार कर गया।
मंगलवार को विधानसभा में नेशनल कांफ्रेंस के नेता अली मोहम्मद सागर के सवाल पर सरकार ने भी माना कि 2015 में 66, 2016 में 88, 2017 में 126 युवक आतंकी बने। 2017 में ये आंकड़ा तेजी के साथ बढ़कर सौ को पार कर गया।
अगर पुराने आंकड़ों को देखा जाए तो 2013 में युवाओं के आतंकी बनने की संख्या सिर्फ 16 थी, जो पिछले आठ साल में सबसे कम रही है। वर्ष 2010 में 54, 2011 में 23, 2012 में 21 युवाओं ने आतंकी संगठन का दामन थामा था। आपरेशन आल आउट में वर्ष 2017 में 213 आतंकियों को ठिकाने लगाया गया। इनमें लश्कर तथा हिजबुल के कई टॉप कमांडर भी रहे।
हिजबुल और लश्कर सबसे आगे
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