तीसरे विश्वयुद्ध की तरफ बढ़ रही है ये दुनिया, जानिए क्या हैं प्लान...

तीसरे विश्वयुद्ध की तरफ बढ़ रही है ये दुनिया, जानिए क्या हैं प्लान…

क्या वाकई दुनिया थर्ड वर्ल्ड वॉर यानी तीसरे विश्व युद्ध की तरफ बढ़ रही है? अगर हां, तो क्यों और कैसे? आखिर कौन करने वाला है इस तीसरे विश्व युद्ध की शुरुआत? कहीं ऐसा तो नहीं कि परमाणु बमों से लैस इस दुनिया का वजूद ही इस विश्व युद्ध की वजह से ख़त्म हो जाए? दुनिया के दो न्यूक्लियर पावर देश नॉर्थ कोरिया और अमेरिका जिस तरह से परमाणु बम का बटन दबाने की धमकी दे रहे हैं, उसने इस खतरे को और भी बढ़ा दिया है.तीसरे विश्वयुद्ध की तरफ बढ़ रही है ये दुनिया, जानिए क्या हैं प्लान...अभी-अभी: सेना का हेलीकाप्टर दुघार्टनाग्रस्त, 7 की मौत की खबर!

अमेरिका में मिसाइल हमले का अलार्म दब गया. हवाई की सीमा के पास बैलिस्टिक मिसाइल से हमले का खतरा था. अधिकारियों के फोन पर आपातकालीन चेतावनी पहुंची. दरअसल, इमरजेंसी अलार्म का बटन ग़लती से दबा तो अमेरिका को किम जोंग उन की धमकी याद आ गई. क्योंकि किम ने उसे परमाणु बटन दबाने की धमकी दी थी.

धमकी का जवाब धमकी से

किम कहा था ‘मेरी टेबल पर परमाणु बम का बटन है, कभी भी दबा दूंगा.’ उधर अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने उसे जवाब देते हुए कहा था ‘मेरे पास तुमसे भी बड़ा बटन है और ये काम भी करता है.’ एक अपनी टेबल पर परमाणु बम का बटन होने की धमकी दे रहा है, तो दूसरा कह रहा है कि मेरे पास तुमसे भी बड़ा बटन है और ये काम भी करता है.अब जब दुनिया के दो परमाणु शक्ति संपन्न देश और उसके नेता इस अंदाज़ में बात करें, तो डरना लाज़िमी है. यही वजह है कि दूसरे विश्वयुद्ध से लेकर अब तक दुनिया ने बेशक तरक्की के तमाम पायदान छू लिए हों, लेकिन तीसरे विश्वयुद्ध की आहट से उसे अब भी डर लगता है.

अमेरिका और नार्थ कोरिया बनेंगे तीसरे विश्वयुद्ध की वजह

वैसे तो दुनिया पर मंडराते तीसरे विश्वयुद्ध के खतरे की तमाम वजहें हैं. लेकिन इन वजहों में सबसे ऊपर है अमेरिका और उत्तर कोरिया का रिश्ता. उत्तर कोरिया में इन दिनों तानाशाह किम जोंग उन का राज है, जिसके बारे में कहा जाता है कि वो बेहद गरम दिमाग, संगदिल और बेरहम है. कुछ इतना कि उसे जिससे भी अपनी कुर्सी पर खतरा महसूस होता है, वो उसकी जान लेने में ज़रा भी देर नहीं करता, फिर चाहे वो उसका अपना ही ख़ून क्यों ना हो? ऐसे में अमेरिका एक तानाशाह के हाथों में परमाणु बमों का बटन होने को दुनिया का सबसे बड़ा खतरा मानता है और हर हाल में उत्तर कोरिया से उसकी परमाणु ताक़त छीनना और ख़त्म करना चाहता है.

सुरक्षा के लिए परमाणु बम 

जबकि दूसरी ओर उत्तर कोरिया अमेरिका को ना सिर्फ़ अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानता है, बल्कि ये भी कहता है कि उत्तर कोरिया के तमाम हथियार उसकी अपनी सुरक्षा यानी हिफ़ाज़त के लिए हैं. अपने वजूद के लिए वो अमेरिका को भी अपने परमाणु हथियारों का निशाना बनाने से पीछे नहीं हटेगा. और तो और उत्तर कोरिया अंतरराष्ट्रीय पाबंदियों और यूएन की रोक के बावजूद ताबड़तोड़ परमाणु परीक्षण भी करता जा रहा है. ऐसे में दो न्यूक्लियर पावर की ये आपसी तनातनी ही तीसरे विश्वयुद्ध की सबसे बड़ी वजह है.

पड़ोसी देशों से उत्तर कोरिया की दुश्मनी

लेकिन बात सिर्फ़ इन दोनों मुल्कों के ख़राब रिश्तों की नहीं है. उत्तर कोरिया एक ऐसा देश है, जिसका अपने कई पड़ोसी मुल्कों से 36 का आंकड़ा है. फिर चाहे वो जापान हो, दक्षिण कोरिया हो या फिर वियतनाम. असल में दूसरे विश्व युद्ध के बाद अपने वजूद में आने के समय से ही उत्तर कोरिया पर रूस का असर रहा है, जबकि दक्षिण कोरिया पर अमेरिका का.

जापान से बढ़ी नार्थ कोरिया की तल्खी

उधर, हाल के कुछ सालों में जापान और दक्षिण कोरिया दोनों ही अमेरिका के बेहद क़रीबी मित्र बन चुके हैं. ऐसे में इन मुल्कों के साथ उत्तर कोरिया की तल्खी लगातार बढ़ रही है. जापान और दक्षिण कोरिया में जब-जब अमेरिकी फौजें अभ्यास करती हैं, उत्तर कोरिया बुरी तरह चिढ़ जाता है. ऐसे में उत्तर कोरिया की चिंगारी चाहे जापान पर पड़े, दक्षिण कोरिया पर, वियतनाम पर या फिर खुद अमेरिका पर, तीसरे विश्वयुद्ध का भड़कना तय है.

उत्तर कोरिया की मदद करेंगे कई देश

दूसरी तरफ रूस, चीन, पाकिस्तान और बुल्गारिया जैसे मुल्क उत्तर कोरिया के क़रीबी माने जाते हैं. दुनिया से अलग-थलग पड़ने के बावजूद चीन के साथ उत्तर कोरिया के कारोबारी और सियासी रिश्ते बेहद अच्छे हैं. ठीक इसी तरह रूस और उत्तर कोरिया भी एक दूसरे के क़रीब हैं. रूस ने तो उत्तर कोरिया में पूंजी निवेश भी कर रखा है. ऐसे में अगर कल को वाकई अमेरिका और उसके मित्र देश उत्तर कोरिया पर हमला करते हैं या फिर दोनों में जंग की शुरुआत होती है, तो इस बात की आशंका ज़्यादा है कि रूस, चीन और पाकिस्तान जैसे देश उत्तर कोरिया के हक़ में खुल कर खड़े हो जाएं. और अगर ऐसा हुआ, तो फिर दुनिया दो खेमों में बंट जाएगी. ठीक उसी तरह जैसा पहले और दूसरे विश्व युद्ध में हुआ था.

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