...तो इसलिए त्यौहारो पर घर के आंगन में बनाई जाती है रंगोली!

…तो इसलिए त्यौहारो पर घर के आंगन में बनाई जाती है रंगोली!

दीपों का महापर्व दीपावली को रोशनी का त्यौहार माना जाता है. इस साल दिवाली 19 अक्टूबर गुरुवार को मनाया जाएगी. इस दिन देश का हर घर दीपों की रोशनी से जगमगा उठता है. वही होली रंगो का त्यौहार के नाम से जाना जाता है. लेकिन दिवाली पर भी रंगो का बहुत महत्व है. वैसे तो रंगों के बिना कोई भी भारतीय त्यौहार अधूरा है, फिर चाहे वह रंगों का उत्सव होली हो, गणेश चतुर्थी और दुर्गा अष्टमी हो या फिर दिवाली हो. सभी त्यौहारों में भारतीयों द्वारा रंगों का इस्तेमाल जरूर किया जाता है. तो दिवाली को तो त्योहारों का राजा मना जाता है. इसलिए इस त्यौहार पर घर के आंगन में रंगोली बनाई जाती है....तो इसलिए त्यौहारो पर घर के आंगन में बनाई जाती है रंगोली!भूलकर भी इस दिवाली पर किसी के साथ न शेयर ये 5 खास चीजें…

रंगोली का महत्व 

हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रंगोली महज़ एक कलात्मक अथवा सजावटी वस्तु नहीं है. रंगोली के सुंदर रंग घर में खुशहाली एवं सुख-समृद्धि लाते हैं. वर्षों से भारत में त्यौहारों पर रंगोली बनाने का रिवाज़ चला आ रहा है. जिसमे महाराष्ट्र में हर त्यौहार पर विशेष रंगोली डाली जाती है. इसी तरह दक्षिण भारत में गेहू के आटे से रंगोली बनायीं जाती है. यहाँ आटे से रंगोली इसलिए बनायीं जाती है. क्योकि आंटे की रंगोली बनाने से घर तो सुन्दर बनता ही है साथ ही ये चीटियों को खाने के काम भी आता है.  रांगोली प्राचीनतम दृष्टि से रंगोली संस्कृत का शब्द है, जिसका अर्थ है रंगों के जरिये भावों को अभिव्यक्त करना.

रंगोली का प्राचीनतम महत्व

 प्राचीन समय से ही रंगोली बनाना काफी प्रचलन में पाया गया है. आज भी भारत के कुछ ग्रामीण इलाकों में घर की दीवारों को रंगोली की आकृतियों से सजाया जाता है. लेकिन आधुनिक भारत में खासतौर पर रंगोली का इस्तेमाल त्यौहारों तक ही सीमित रह गया है. ज्यादातर रंगोली को दिवाली के उत्सव पर बनाया जाता है. दिवाली पर लोग घरों की साफ-सफाई करके उन्हें स्वच्छ बनाकर रंगों तथा फूलों की मदद से रंगोली बनाते हैं। कई बार इसे बनाने के लिए विभिन्न देवी-देवताओं की प्रतिमाओं तथा मां लक्ष्मी के पग चिन्हों का इस्तेमाल भी किया जाता है। दिवाली पर रंगोली बनाना महज़ एक रिवाज़ नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक इतिहास भी प्रचलित है।

धर्म को दर्शाती रंगोली 

लोक मान्यताओं के आधार पर ऐसा माना जाता है कि लंकेश रावण का वध करने के पश्चात जब श्रीराम अपनी पत्नी सीता के साथ 14 वर्षों का वनवास व्यतीत करके अयोध्या वापस लौट रहे थे, तब अयोध्या वासियों ने उनका पूरे हर्षोल्लास से स्वागत किया था. इसके लिए अयोध्या वासियों द्वारा घर की साफ-सफाई करके घर के आंगन में या फिर प्रवेशद्वार के समीप रंगोली बनाई गई थी तथा पूरे अयोध्या को दीपक से सजाया गया था. तभी से प्रत्येक वर्ष दीपावली पर रंगोली बनाने का रिवाज़ प्रचलित हो गया.

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