रक्षा मंत्रालय की भी है अपनी मजबूरी
गणतंत्र दिवस समारोह की व्यवस्था देख रहे रक्षा मंत्रालय की भी अपनी मजबूरी है। इस वर्ष मुख्य अतिथि के तौर पर 10 देशों के प्रमुख गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होंगे। अब इन 10 अतिथियों के साथ इनकी पत्नि के लिए भी व्यवस्था की गई है। जिसके वजह से पहली पंक्ति की कुर्सियों पर जगह नहीं बची है। जबकि अन्य वर्ष के अयोजनों में महज एक विदेशी नेता ही बतौर मुख्य अतिथि आयोजन में शामिल होता था। इसलिए अगली पंक्ति में सीटों की संख्या भरपूर रहती थी। जिसपर प्रमुख भारतीय नेताओं को जगह दी जाती थी। मगर इस दफे विदेशी मेहमानों की संख्या बढऩे से व्यवस्था में बदलाव मजबूरी बन गई है। यही वजह है कि व्यवस्थापकों को कांग्रेस अध्यक्ष को चौथी पंक्ति में स्थान आवंटित करना पड़ा है।
कांग्रेस ने लगाया राजनीति का आरोप
कांग्रेसियों में नाराजगी की वजह राहुल गांधी को चौथी पंक्ति में स्थान दिए जाने के साथ भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को पहली पंक्ति में स्थान दिए जाने को लेकर भी है। उन्हें लगता है कि सीट आवंटन में बेशक विदेशी मेहमानों की बढ़ी संख्या की मजबूरी बताई जा रही है। मगर राहुल को सीधे चौथी पंक्ति में बैठने की व्यवस्था के बजाय दूसरी पंक्ति में स्थान देकर उनके सम्मान के साथ न्याय किया जा सकता था। एक तरफ भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बैठने की व्यवस्था तमाम दिक्कतों के बाद पहली पंक्ति में की गई है। तो राहुल गांधी को सीधे चौथी पंक्ति में स्थान दिया गया है। यही वजह है कि कांग्रेस को इसमें सियासी चाल नजर आ रही है।
वर्ष 2015 में भी केंद्र की मोदी सरकार पर गणतंत्र दिवस समारोह के जरिए सियासत साधने का आरोप लग चुका है। तब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सरकार पर आमंत्रण नहीं देने का आरोप लगाया था। यही वजह है कि राहुल को चौथी पंक्ति में धकेले जाने के मामले में कांग्रेस को राजनीतिक साजिश नजर आ रही है। मगर राहुल ने समारोह में शामिल होने का निर्णय लिया है।