लखनऊ : बसंत पंचमी भारतीय त्यौहार है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। माघ मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन वसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है।
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लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दिन भारत के एक खास जगह पर भगवान रामचंद्र की भी पूजा होती है। गुजरात और मध्य प्रदेश में फैला दंडकारण्य इलाका, जहां के बारे में कहा जाता है कि यहीं पर मां सीता को खोजते हुए भगवान राम आए थे और यहीं पर मां शबरी का आश्रम था। जिस दिन भगवान राम ने शबरी के आश्रम में कदम रखा था और उनके झूठे बेर खाए थे, उस दिन बसंत पचंमी था इसलिए इस क्षेत्र के वनवासी इस दिन एक शिला को पूजते हैं, जिसके बारे में उनकी श्रध्दा है कि श्रीराम आकर यहीं बैठे थे।
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इतिहास वैसे इतिहासकारों के हिसाब से बसंत पंचमी के ही दिन पृथ्वीराज चौहान जैसे वीर ने विदेशी हमलावर मोहम्मद गौरी का वध करके आत्मबलिदान दिया था, इसलिए भी यह दिन मानक है। महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ बसंत पंचमी के ही दिन हिन्दी साहित्य की अमर विभूति महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ का जन्मदिन भी है इसलिए भी इसकी खास महत्ता है।