स्वामी विवेकानंद का आज जन्मदिन है. उनका जन्म 12 जनवरी 1863 को हुआ था. 11 सितंबर 1983 को शिकागो (अमेरिका) में विश्व धर्म सम्मेलन में उन्होंने भाषण दिया था. ये उनके जीवन का ऐतिहासिक भाषण साबित हुआ.
ऐसा बताया जाता है कि दक्षिण गुजरात के काठियावाड़ के लोगों ने सबसे पहले स्वामी विवेकानंद को विश्व धर्म सम्मेलन में जाने का सुझाव दिया था. फिर चेन्नई के उनके शिष्यों ने भी निवेदन किया. खुद विवेकानंद ने लिखा था कि तमिलनाडु के राजा भास्कर सेतुपति ने पहली बार उन्हें यह विचार दिया था. जिसके बाद स्वामीजी कन्याकुमारी पहुंचे थे.
शिकागो यात्रा के लिए शिष्यों ने किया इंतजाम
जैसे शिष्य एकलव्य ने गुरु द्रोणाचार्य को गुरु दक्षिणा में अंगूठा काट कर दिया था वैसे ही स्वामी जी जब चेन्नई लौटें तब उनके शिष्यों ने उनकी शिकागो जाने के सारे इंतजाम कर लिए थे. जिसके लिए सभी ने मिलकर अपने गुरु के लिए धन की व्यवस्था की. लेकिन उन्होंने कहा कि सारा इकट्ठा किया गया धन उसे गरीबों में बांट दिया जाए.
मां शारदा देवी से मांगा मार्गदर्शन
एक दिन स्वामी विवेकानंद को सपना आया कि रामकृष्ण परमहंस समुद्र पार जा रहे हैं. साथ ही उन्हें पीछे आने का इशारा कर रहे हैं. लेकिन, विवेकानंद सपने की सच्चाई जानना चाहते थे. उन्होंने मां शारदा देवी से मार्गदर्शन मांगा. जिसके लिए माता ने उन्हें इंतजार करने को कहा. तीन दिन के इंतजार के बाद शारदा देवी को सपने में रामकृष्ण परमहंस गंगा पर चलते हुए और उसमें गायब होते दिखे. फिर विवेकानंद आए और वह पानी उन्होंने दुनिया के सारे लोगों पर छिड़का और उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ. शारदा देवी ने विवेकानंद के गुरुभाई से कहा कि उन्हें कहें कि यह उनके गुरु की इच्छा है कि वे विदेश जाएं.
विश्व मेले का हिस्सा है ‘धर्म सम्मेलन’
साल 1893 का ‘विश्व धर्म सम्मेलन’ कोलंबस द्वारा अमेरिका की खोज करने के 400 साल पूरे होने पर आयोजित विशाल विश्व मेले का एक हिस्सा था. अमेरिकी नगरों में इस आयोजन को लेकर इतनी होड़ थी कि अमेरिकी सीनेट में न्यूयॉर्क, वॉशिंगटन, सेंट लुई और शिकागो के बीच मतदान कराना पड़ा, जिसमें शिकागो को बहुमत मिला था. जिसके बाद तय हुआ कि ‘धर्म सम्मेलन’ विश्व मेले का हिस्सा है.