Anand Film का एक Dialogue है, ‘जीना तो बंबई (अब मुंबई) में, मरना तो बंबई में।’ बस ये एक संवाद मुंबई के अस्तित्व को बयां करने के लिए काफ़ी है।
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हर साल ना जाने कितने लोग अपने सपने लिए समंदर के किनारे इस शहर की गोद में जाकर बैठ जाते हैं। हर दूसरा शख़्स यहां अभिनेता, निर्देशक और फिल्मो से जुड़े अन्य कामों को करने के लिए आता है। यहां बॉलीवुड में फिल्में तो बनती ही हैं, लेकिन इसके साथ-साथ यहां बी और सी ग्रेड की फ़िल्मों का निर्माण भी किया जाता है।
हमारे देश में लोग सेक्स के मसले पर बात करने से हिचकिचाते हैं, लेकिन सबसे ज़्यादा जनसंख्या ऐसे ही तो नहीं बनी? खैर हम वो बी और सी ग्रेड की बात कर रहे थे।
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आज समर खान बी और सी ग्रेड्स की फ़िल्में बनाते हैं। कभी ये भी बनने अभिनेता ही आये थे। दीवाना फ़िल्म में तो इन्होंने एक रोल भी किया था। आज 26 साल बाद बी और सी ग्रेड्स की फ़िल्मों का निर्देशन, लेखन और प्रॉड्यूसर का काम करते हैं।
यहां भी लाइट्स हैं, कैमरा है, लोग हैं कला है पर इसे बी/सी ग्रेड में बांट दिया जाता है। हम यहां ज़्यादा बोलना बंद करके वीडियो को खुद बोलने देते हैं।
इस वीडियो को देखिए और अपने हिसाब से सोचिए..जो भी सोचते हैं इस मसले पर: