आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि दक्षिणमुखी घर तरक्की को बाधित करते हैं और जीवन के लिए संकटकारी होता है। लेकिन यह बात पूरी तरह सच नहीं है। अगर दक्षिणमुखी घर में वास्तु का ध्यान रखा जाए तो यह पूर्वमुखी घर के समान ही जातक को तरक्की और संपन्नता दिलाता है ऐसा वास्तु के नियम बताते हैं…यहां बनाएं मुख्य द्वार
दक्षिणमुखी प्लाट पर घर का मुख्य द्वार दक्षिण-पश्चिम में बनाने के बजाय दक्षिण-पूर्व में बनवाएं।
इस दिशा में हो अधिक खुलापन तो आती है खुशहाली
घर में खुली जगह छोड़ते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि दक्षिण दिशा की तुलना में उत्तर में अधिक खुली जगह हो। ठीक इसी तरह पश्चिम दिशा की तुलना में पूर्व दिशा में अधिक खुलापन होना चाहिए।
फर्श बनवाते समय रखें इस बात का ध्यान
घर में फर्श बनवाते समय इस बात का ध्यान रखें कि फर्श इकसार हो। यानी ऊंचा-नीचा न हो। पानी के लिए ढलान ऐसा हो कि पानी का बहाव ईशान कोण की तरफ यानी उत्तर पूर्व की ओर हो।
समृद्धि के लिए यहां हो वॉटर टैंक
घर में पानी के भराव के लिए टैंक, बोरिंग, नल या कुआं घर के उत्तर या उत्तर-पूर्व में होना चाहिए।
उत्तर-पूर्व कोने को लेकर बरतें ये सावधानी
घर का उत्तर-पूर्व कोना किसी भी प्रकार से क्षतिग्रस्त नहीं होना चाहिए। मतलब यह कोना कटा हुआ, गोल या घर के अन्य हिस्सों की तुलना में ऊंचा नहीं होना चाहिए। साथ ही घर का नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम) बढ़ा हुआ या नीचा नहीं होना चाहिए।
दक्षिणमुखी घर के वास्तु को ऐसे बनाएं शुभ
यदि घर में पानी निकलने की व्यवस्था उत्तर-पूर्व की तरफ न हो पा रही हो तो कंपाउंड वॉल के साथ प्लॉट के पूर्व ईशान में एक नाली बनाकर पूर्व-अग्नेय कोण की तरफ से बाहर निकालें। यदि यह भी संभव न हो तो पानी की निकासी का मार्ग उत्तर-ईशान से नाली बनाकर उत्तर वायव्य कोण की तरफ ले जाएं।