जयपुर : अगर किसी को कोर्ट से इंसाफ नहीं मिलता तो वह भगवान के श्रण में आता है, लेकिन अगर भगवान को ही कोर्ट से न्याय नहीं मिल रहा हो तो भला वो कहां जाएंगे।

आज इस जमीन पर कई बड़ी-बड़ी अवैध इमारतें खड़ी हैं। भगवान लक्ष्मण के नाम दर्ज 16।2 बीघा जमीन आज मंदिर निर्मित मात्र 11 बिस्वा तक ही सिमट गई है। लोग बताते हैं कि नामी डकैत अमृत सिंह को इस मंदिर से काफी लगाव था। उसने इस मंदिर का विकास कराया था, लेकिन डाकू के द्वारा संरक्षित मंदिर की जमीन को यहां के पुजारियों ने ही उजाड़ दिया।
मंदिर के लिए ही बने सीताबाड़ी विकास समिति के सदस्य जसविंदर सिंह साबी को भगवान की जमीन को गबन करने की बात जब मालूम चली तो, उन्होंने इस जमीन को भगवान लक्ष्मण के नाम वापस चढ़वाने के लिए ढेरों प्रयास किए। उनके द्वारा खंगाले गए रिकॉर्डों के आधार पर कोटा संभाग के वर्तमान आयुक्त रघुवीर सिंह मीना ने 25 अगस्त 2016 को बारां जिला कलेक्टर को आदेश दिए कि वह मंदिर श्री लक्ष्मण जी की माफी जमीन को फर्जी तरीके से अपने नाम करवाने के कागज को निरस्त करें और उस जमीन को कब्जा मुक्त करें।
इस आदेश के 6 महीने बाद भी जब जिला कलेक्टर ने संभागीय आयुक्त के इस आदेश पर कार्रवाई नहीं की तो जसविंदर ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। मामले में पेश सबूतों के आधार पर न्यायालय ने केलवाड़ा थाने को इस सम्बन्ध में मंदिर के पुजारी राजेंद्र, जीतेन्द्र और सुमन के खिलाफ मामला दर्ज करने के आदेश दिए।
पुलिस ने आईपीसी की धारा 420, 467, 168, 471, 120-B के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। ऐसे में भगवान को अपनी जमीन के लिए न्यायालय से उम्मीद है कि वो इस जमीन को कब्जे से मुक्त करा सकें।
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