दिल्ली: कृत्रिम बुद्धिमत्ता से लंग्स कैंसर की पहचान हुई आसान

इसकी मदद से रोगियों की पहचान पहले या दूसरे स्टेज में होना संभव हुआ है। आने वाले दिनों में तकनीक में सुधार से एआई तकनीक अपग्रेड होगी।

देश में तेजी से बढ़ रहे लंग्स कैंसर के मरीजों की पहचान में एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) मददगार साबित होने लगी है। इसकी मदद से रोगियों की पहचान पहले या दूसरे स्टेज में होना संभव हुआ है। आने वाले दिनों में तकनीक में सुधार से एआई तकनीक अपग्रेड होगी।

जांच की सुविधा बड़े शहरों के साथ देश के दूर सुदूर क्षेत्रों तक पहुंचेगी। इसका सीधा फायदा एडवांस स्टेज में आने वाले मरीजों को होगा। इसी विषयों को लेकर शनिवार को डॉ. अंबेडकर अंतरराष्ट्रीय केंद्र में देशभर के विशेषज्ञों की बैठक हुई।

लंग्स हेल्थ एंड ऑन्कोलॉजी विषय पर हुए राष्ट्रीय सम्मेलन 2024 में विशेषज्ञों ने फेफड़ों के कैंसर, इसके उपचार, एआई का विकास सहित दूसरे विषयों पर चर्चा की। इस सम्मेलन में एम्स भुवनेश्वर के रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. प्रोफेसर सरोज कुमार दास मजूमदार ने कैंसर की पहचान पर पिछले 200 साल में हुए बदलाव पर चर्चा की।

साथ ही बताया कि एआई की मदद से देश में इस कैंसर को पकड़ पाना आसान हो रहा है। भारत में लंग्स कैंसर की स्थिति काफी खराब है। इस रोग से पीड़ित मरीजों में मृत्युदर काफी अधिक है। इनमें से अधिकतर मरीज एडवांस स्टेज पर अस्पताल पहुंचते हैं।

ऐसे मरीजों के लिए एआई काफी मददगार साबित होने लगी है। यह एक्स रे को देखकर कैंसर का आकलन कर सकती है। देश में कैंसर के साथ टीबी, संक्रमण का स्तर भी ज्यादा है। एआई इनमें भेद कर काफी हद तक सटीक सुझाव दे पाता है।

80 हजार मामले सामने आते हैं हर साल
पश्चिमी देशों के मुकाबले स्वदेशी एआई तकनीक काफी प्रभावी हो सकती है। देश में हर साल 80 हजार नए मामले सामने आते हैं। यहां सैंपल साइज काफी ज्यादा है। इनके सैंपल के आधार पर तैयार एआई तकनीक ज्यादा सटीकता के रोग की पकड़ कर सकता है। यह तकनीक देश के साथ दुनिया के कई देशों के लिए भी कारगर साबित हो सकता है।

बच्चों में बढ़ा धूम्रपान का चलन
आंकड़े बताते हैं कि स्कूल जाने वाले बच्चों में धूम्रपान करने का चलन बढ़ा है। इसके अलावा देश में प्रदूषण की बढ़ती समस्या, तनाव, खराब जीवन शैली व खानपान के कारण कैंसर की आशंका बढ़ गई है। दूसरे कैंसर के मुकाबले लंग्स कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। कैंसर के मामले में 10 फीसदी में ही अनुवांशिकी मामले देखने को मिलते हैं।

पुरुषों में दूसरा सबसे बड़ा कैंसर
डॉक्टरों ने बताया कि देश में लंग्स कैंसर के मरीजों में मौत सबसे अधिक होती है। पुरुषों में होने वाला यह दूसरा सबसे बड़ा कैंसर है। वहीं महिलाओं में यह चौथे नंबर का सबसे बड़ा कैंसर है। हर साल करीब 80 हजार नए मामले देश में सामने आते हैं। लक्षण दिखने के बाद भी समय पर जांच न करवाने के कारण 50 से 80 फीसदी मरीज एडवांस स्टेज में अस्पताल पहुंचते हैं। ऐसे मरीजों का इलाज जटिल हो जाता है।

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