केंद्र और राज्य सरकारों के दावों के विपरीत देश में हत्या, बलात्कार, अपहरण, नशे, चोरी, डकैती, छीना-झपटी आदि अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं और राजधानी दिल्ली भी इसका अपवाद नहीं है। बड़ी संख्या में महिलाओं से बलात्कार एवं अपहरण की घटनाओं के बाद यह ‘बलात्कारों की राजधानी’ के साथ-साथ ‘अपहरणों की राजधानी’ भी कहलाने लगी है हालांकि दिल्ली पुलिस के अनुसार 2015 में राजधानी में बलात्कार के 2199 मामलों की तुलना में 2016 में 2155 केस दर्ज किए गए तथा 2017 में इसमें कुछ कमी आई है। फिर भी औसतन यहां 6 बलात्कार प्रतिदिन हो रहे हैं जबकि छेड़छाड़ आदि के मामले इसके अलावा हैं। राजधानी को शर्मसार करने वाले मामलों में मात्र 2 दिनों में :19 फरवरी रात को उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के रोहिणी क्षेत्र के बेगमपुर इलाके में 50 वर्षीय एक व्यक्ति ने 4 वर्ष की एक बच्ची से बलात्कार किया।20 फरवरी को हौज खास में 26 वर्षीय नागा युवती और इसी दिन रोहिणी में 4 तथा 7 वर्ष की दो बच्चियां बलात्कार की शिकार हुईं।
ये इस तरह की इकलौती घटनाएं नहीं हैं बल्कि रोज ही ऐसी घटनाएं हो रही हैं। जनवरी 2017 में ही यहां बलात्कार के 143, महिलाओं से बदसलूकी के 238 और छेड़छाड़ के 55 मामले दर्ज किए गए। नशों के मामले में भी दिल्ली देश के अन्य राज्यों से भिन्न नहीं है तथा यह धीरे-धीरे नशीले पदार्थों के अंतर्राष्ट्रीय तस्करों की गतिविधियों का केंद्र बनती जा रही है जो यहां बैठ कर विदेशों में स्थित अपने सम्पर्कों के जरिए नशे का कारोबार चलाते हैं।
2015 की तुलना में 2016 में राजधानी में नशीले पदार्थों की तस्करी 31 प्रतिशत बढ़ी है। यहां लाई जाने वाली ‘पार्टी ड्रग्स’ में से अधिकांश दूसरे देशों को भी सप्लाई की जाती हैं। इसी वर्ष 21 जनवरी को एक महिला सहित 3 वियतनामी नागरिकों को पहाडग़ंज स्थित एक होटल से 3 किलो कोकीन के साथ गिरफ्तार किया गया जिसकी अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कीमत 21 करोड़ रुपए है।
4 फरवरी को दक्षिण दिल्ली के महीपालपुर में 2 अफ्रीकी महिलाओं को 30 करोड़ रुपए मूल्य की कोकीन के साथ गिरफ्तार किया गया। ‘नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो’ के अधिकारियों ने राजधानी दिल्ली में वर्ष 2016 में 70 करोड़ रुपए से अधिक मूल्य के नशीले पदार्थ जब्त किए। पुलिस और सी.आई.एस.एफ. द्वारा जब्त नशीले पदार्थ इसके अलावा हैं राजधानी में महिलाओं और बच्चों सहित 2.5 लाख से अधिक लोग नशों की लत से पीड़ित हैं जिनमें से 25,000 से अधिक लोगों को ‘अति आवश्यक इलाज’ की जरूरत है। राजधानी में पिछले वर्ष हत्याओं के 289 मामले दर्ज किए गए थे और यह सिलसिला लगातार जारी है। यहां मात्र 2 दिनों में :
19 फरवरी को दक्षिण पश्चिम दिल्ली के ‘छावला’ में 24 वर्षीय एक युवक की 2 बाइक सवारों ने गोली मार कर हत्या कर दी। 20 फरवरी को बाहरी दिल्ली के कंझावला इलाके में एक महिला की गला घोंट कर हत्या कर दी गई। बेशक पिछले कुछ समय के दौरान राजधानी की पुलिस ने चंद उपलब्धियां भी प्राप्त की हैं परन्तु उपलब्धियों पर अपराधों का पलड़ा भारी दिखाई देता है। अपराधों की यह स्थिति निश्चय ही राजधानी दिल्ली में कानून व्यवस्था की लचर हालत की ओर ही इंगित करती है।
इसे सुधारने के लिए जहां दिल्ली पुलिस में स्टाफ की कमी को दूर करने की तुरंत आवश्यकता है, वहीं मौजूदा ढांचे में सुधार लाना भी जरूरी है। अपराध और अपराधियों पर निगरानी रखने के लिए राजधानी में पिछले 8 वर्षों में पुलिस ने मात्र 4074 सी.सी.टी.वी. कैमरे खरीदे हैं जबकि अब 10,000 सी.सी.टी.वी. कैमरे खरीदने का प्रस्ताव पेश किया गया है। मात्र स्टाफ की कमी ही नहीं, दिल्ली पुलिस के पास अपने वाहनों और अन्य संसाधनों का भी अभाव है जिसे दूर किए बिना राजधानी में कानून-व्यवस्था की स्थिति में सुधार ला पाना संभव नहीं।