दिल्ली में पार्किंग की समस्या से सिर्फ यहां रहने वाले लोग ही दो चार नहीं है, बल्कि देश और दुनिया में दिल्ली की पहचान बन चुकी मेट्रो भी इस विकट समस्या से रूबरू है. लेकिन दिल्ली मेट्रो ने पब्लिक ट्रांसपोर्ट में क्रांति लाने के लिए कई कमाल किए हैं और तकनीकी के बूते किए हैं, इसीलिए इस समस्या को भी दिल्ली मेट्रो ने अपने ही अंदाज़ में सुलझा लिया.प्रद्युम्न की याद में अभिभावक संघों के कई सदस्य ने रामलीला मैदान में किया कैंडल मार्च….
दरअसल दिल्ली मेट्रो की नई लाइन बनाने की शुरुआत जनकपुरी और कालिंदी कुंज के बीच हुई, तो इस रूट पर ओखला जामिया इलाके में जगह की कमी पड़ गई, क्योंकि दिल्ली मेट्रो को सिर्फ लाइन बनाने के लिए ही नहीं बल्कि स्टेशन और फिर ट्रेन डिपो बनाने के लिए भी जगह की जरूरत होती है. डिपो के लिए दिल्ली मेट्रो को ज्यादा जगह चाहिए होती है, क्योंकि मेट्रो के डिपो में न सिर्फ ट्रेनों की देखरेख होती है, बल्कि यहां उस वक्त मेट्रो ट्रेनों को पार्क किया जाता है, जब वो कमर्शियल ऑपरेशन में नहीं होती हैं.
जब मेट्रो की मैजेंटा लाइन पर काम शुरू हुआ तो डिपो के लिए कालिंदी कुंज का इलाका तय किया गया. क्योंकि यही वह इलाका था, जहां कुछ जगह उपलब्ध थी. लेकिन मेट्रो को मिली हुई जगह से ज्यादा जगह की ज़रूरत थी. मेट्रो के इंजीनियर्स ने दिमाग लगाया और एक कमाल फिर हुआ. इस बार मेट्रो ने आर्किटेक्चर की मिसाल कायम की और कालिंदी कुंज के साथ ही उसी से लगे हुए जसोला विहार स्टेशन के पास हवा में ही मेट्रो की पार्किंग के लिए जगह बना दी.
जसोला विहार और कालिंदी कुंज पर दिल्ली मेट्रो ने ज़मीन से करीब 15 मीटर ऊंचाई पर पूरा एक सरफेस बना दिया. ये करीब चालीस मीटर चौड़ा और डेढ़ किलोमीटर लंबा है. इस सरफेस पर रेल ट्रैक बिछाए गए हैं और इसे डिपो के साथ जोड़ दिया गया है. यहां एक साथ करीब 40 मेट्रो ट्रेनों की पार्किंग हो सकती है. मेट्रो ने इसे एलिवेटेड स्टेबलिंग यार्ड का नाम दिया है.
दिल्ली मेट्रो के प्रवक्ता अनुज दयाल के मुताबिक ऐसा करने से न सिर्फ मेट्रो के लिए पार्किंग की जगह बन पायी है, बल्कि इस सरफेस के नीचे मुसाफिरों के लिए भी अपनी कार और स्कूटर पार्किंग बनायी गई है.