दिल्ली-एनसीआर समेत देश के कई राज्यों में आंधी-तूफान और चक्रवाती हवाओं का खतरा अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। आंधी-तूफान के आगामी 24 घंटों के दौरान फिर से सक्रिय रहने की संभावना है। मौसम विभाग के मुताबिक, पश्चिमी विक्षोभ का असर अब भी बरकरार है। ऐसे में उत्तर-पश्चिमी मध्य प्रदेश और दक्षिण-पश्चिमी राजस्थान से लेकर पूर्वी विदर्भ तक के इलाकों में चक्रवाती तूफान का खतरा बरकरार है।
मौसम विभाग के अनुसार, चक्रवाती तूफान आने पर इसका असर देश के उत्तरी राज्यों में भी देखने को मिलेगा। इसके चलते दिल्ली-एनसीआर और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों के साथ जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में 24 घंटों के दौरान तूफान या तेज हवाएं चल सकती हैं।
यहां पर बता दें कि एक दिन पूर्व (शनिवार शाम) को मौसम विभाग ने अपने ताजा अपडेट में संभावना जताई थी कि पश्चिमी विक्षोभ के कारण पश्चिमी अफगानिस्तान और आस-पास के इलाकों में बने कम दबाव के क्षेत्र का असर मध्य भारत के कुछ राज्यों में बरकरार है।
वहीं, चक्रवाती तूफान आया तो इन इलाकों में 70 से 90 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तूफानी हवाएं चलने और समुद्र में ऊंची-ऊंची लहरें उठने की संभावना है। चक्रवाती तूफान यमन के अदन शहर से करीब 390 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में और सोकोत्रा द्वीप समूह से 560 किलोमीटर पश्चिमी-उत्तर पश्चिम में अदन की खाड़ी के ऊपर केंद्रित है।
शनिवार को उत्तर प्रदेश के कई शहरों में तेज हवाओं ने तबाही मचा दी। कहीं बड़े-बड़े पेड़ जड़ से उखड़े तो कहीं तेज हवाओं के चलते कई शहर की रफ्तार पर ब्रेक लग गया। शनिवार शाम आए आंधी-तूफान से फिरोजाबाद में दर्दनाक हादसा हुआ, जिसने तीन लोगों की जिंदगी ही खत्म कर दी।
फिरोजाबाद के रामगढ़ इलाके के चनोरा गांव में घर बन रहा था। अचानक आए आंधी-तूफान से निर्माणाधीन इमारत का एक हिस्सा गिरने से तीन लोगों की मौत हो गई, जिसमें एक महिला, एक राज-मिस्त्री और एक मजदूर की जान चली गई।
हादसे में एक बच्ची गंभीर रूप से घायल हुई है। हादसे की खबर के बाद स्थानीय विधायक पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे और उन्होंने पीड़ित परिवारों को चार-चार लाख रुपए मुआवजा देने की घोषणा की है।
गौरतलब है कि दिल्ली-एनसीआर में तकरीबन रोजाना आंधी आ रही है। इसके चलते जगह-जगह पेड़ गिरने, बिजली की तार टूटने और बड़े बैनर-होर्डिंग गिरने से बड़ी संख्या में लोग घायल हो रहे हैं। यहां तक कि दिल्ली-एनसीआर में ही आधा दर्जन लोग इन्हीं कारणों से अपनी जान गंवा चुके हैं।
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