दिल तक पहुंचती है हिंदी भाषा: हिंदी साहित्य में अलीगढ़ जिले का योगदान…

डॉ. गोपालदास नीरज, डॉ. नगेंद्र, डॉ. जैनेंद्र, डॉ. लक्ष्मी सागर वार्ष्णेय, अक्षय कुमार जैन, प्रो. हरवंशलाल शर्मा, प्रो. गोवर्द्धननाथ शुक्ल, प्रो. विश्वनाथ शुक्ल, प्रो. शैलेष जैदी, प्रो. पीएस गुप्त, प्रो. केपी सिंह, प्रो. रवींद्र भ्रमर सहित अन्य हिंदी के कलमकारों ने अलीगढ़ में हिंदी की सेवा की और उसका मान बढ़ाया।

आज हिंदी दिवस है। हिंदी भाषा हमारी शान है। यह वही भाषा है, जो दूसरे की जुबां से होकर हमारे दिल तक पहुंचती है। हिंदी साहित्य और भाषा में जिले का उल्लेखनीय योगदान है। यहां के पुरोधाओं ने देश-दुनिया में हिंदी का मान-सम्मान बढ़ाया है। सुप्रसिद्ध गीतकार गोपालदास नीरज, डॉ. जैनेंद्र से लेकर डॉ. प्रेमकुमार, डॉ. नमिता सिंह, सुरेश कुमार सहित अन्य कलमकार हैं, जिन्होंने हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार में महती भूमिका अदा की है।

ये रहे अलीगढ़ के चर्चित कलमकार
डॉ. गोपालदास नीरज, डॉ. नगेंद्र, डॉ. जैनेंद्र, डॉ. लक्ष्मी सागर वार्ष्णेय, अक्षय कुमार जैन, प्रो. हरवंशलाल शर्मा, प्रो. गोवर्द्धननाथ शुक्ल, प्रो. विश्वनाथ शुक्ल, प्रो. शैलेष जैदी, प्रो. पीएस गुप्त, प्रो. केपी सिंह, प्रो. रवींद्र भ्रमर सहित अन्य हिंदी के कलमकारों ने अलीगढ़ में हिंदी की सेवा की और उसका मान बढ़ाया।

एएमयू : चार शिक्षकों को प्रशिक्षु आईएएस अधिकारियों को पढ़ाने के लिए मिला निमंत्रण
हिंदी दिवस पर हिंदी भाषा और साहित्य की उपलब्धियों की दृष्टि से अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के हिंदी विभाग के नाम एक ऐसी उपलब्धि दर्ज हुई है, जो भारत के सभी विश्वविद्यालयों के हिंदी विभागों से अलग एक विशेष स्थान रखती है। विभाग ने दावा किया है कि देश के किसी विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग से चार शिक्षकों का चयन आईएएस अधिकारियों को पढ़ाने के लिए नहीं हुआ है।

लालबहादुर शास्त्री प्रशासनिक अकादमी मसूरी, जहां संघ लोकसेवा आयोग से चयन के बाद भारतीय प्रशासनिक सेवा के प्रशिक्षु अधिकारी प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं। यहां प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षु अधिकारियों को अन्य विविध प्रशिक्षण के अतिरिक्त प्रशासन, विधि व भाषासंबंधी अध्ययन करना होता है। भाषायी अध्ययन में कमोबेश सभी प्रमुख भारतीय भाषाओं का अध्ययन अपेक्षित होता है। इनमें भी हिंदी भाषा के विशेष अध्ययन के साथ अन्य भाषाओं का अध्ययन करवाया जाता है। इसके लिए ‘हिंदी व अन्य क्षेत्रीय भाषाएं’ नाम से विभाग है, जिसमें हिंदी के प्रोफेसर की नियुक्ति की जाती है।

एएमयू के हिंदी विभाग से चार सदस्यों का चयन लालबहादुर राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी में प्रोफेसर व सहायक प्रोफेसर के रूप में अध्यापन करने के लिए हुआ है। इनमें प्रो. कैलाशचंद्र भाटिया, प्रो. प्रेमशंकर, अजय बिसारिया व प्रो. शंभुनाथ तिवारी शामिल हैं। प्रो. भाटिया और प्रो. प्रेमशंकर अकादमी से सेवानिवृत्त हुए। अजय बिसारिया ने तकनीकी कारणों से वहां ज्वाइन नहीं किया और प्रो. शंभुनाथ तिवारी ने हिंदी विभाग में ही पढ़ाने को वरीयता देकर वहां नहीं जाना उचित समझा। उधर, शोध के मामले में यूनिवर्सिटी में भक्तिकाल, आधुनिक काल व हिंदी-उर्दू तुलनात्मक साहित्य के विविध पक्षों पर शोधकार्य के लिए हिंदी विभाग की विशेष ख्याति और प्रतिष्ठा रही है।

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