दुख में अपनों का साथ क्या होता है, यह हम सब जानते हैं. परेशान मन को जब अपनों का साथ मिलता है, तो बहुत सी परेशानी छू मंतर हो जाती हैं. यह बात अब तक सिर्फ बड़े बुजुर्ग कहते थे. लेकिन अब इस बात को विज्ञान ने साबित कर दिया है. हाल ही में हुए एक शोध में यह बात सामने आई है कि परेशानी में आपनों का हाथ पकड़ने से दिल की धड़कन ही नहीं, बल्कि सांस की गति भी सामान्य होती है, जो हमारे ब्रेन वेव को दिल की धड़कन के साथ मिलाकर एक-दूसरे के साथ लय में लाती है. दर्द का अहसास कम होने की इस प्रक्रिया को ब्रेन-टू-ब्रेन कपलिंग का नाम दिया गया. 
रिश्तों के अहसास से मिलती है ताकत
बोल्डर स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो में हुए इस शोध के मुताबिक, हमारा जीवन से जुड़ा ऐसा व्यक्ति जिसका हमसे बहुत ही गहरा रिश्ता हो, चाहे वह रिश्ता पति-पत्नी का हो, भाई-बहन का हो, मां-बेटे का हो, पिता और बेटी का या कोई दोस्त.शोध के मुताबिक, दर्द के समय केवल हाथ पकड़ लेने से ही दर्द में राहत महसूस होने लगता है. इस राहत की अहम वजह है कि दोनों के मस्तिष्क की तरंगों का एक समय में एक जैसा काम करती है. इसी वजह से इसमे दर्द का अहसास कम होने लगता है.
क्या कहते हैं प्रोफेसर ?
इस शोध को लीड करने वाले प्रोफेसर पैवेल गोल्डस्टीन ने कहा,’ हम जिस दौर में जी रहे हैं वह माडर्न कम्युनिकेशन के दौर है. यहां एक दूसरे से बात करने के तमाम साधन है जैसे फोन, सोशल मीडिया आदि और इसी वजह से हम इस माडर्न कम्युनिकेशन युग में फिजिकल कम्युनिकेशन को भूल रहें हैं. इस शोध के जरिए यह साबित हुआ है कि दो लोगों के बीच संवाद बढ़ाने की कितनी जरूरत है.
कैसे हुआ यह शोध?
इस विशेष अध्ययन के लिए विशेषज्ञों ने 23 से 32 साल के युवाओं पर अध्ययन किया. शोधकर्ताओं ने दो मिनट तक इन जोड़ों को कई परिदृश्यों को दिखाया. इस दौरान उनकी इलेक्ट्रोएंसीफेलोग्राफी (ईईजी) कैप के जरिए, मस्तिष्क तरंगों की जांच की. यह शोध प्रोसीडिंग्स ऑफ नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित हुआ है.
TOS News Latest Hindi Breaking News and Features