नई दिल्ली। नोटबंदी के असर से प्रभावित हुई खपत के चलते दिसंबर महीने में खुदरा महंगाई दर दो साल के निचले स्तर पर पहुंच सकती है। रॉयटर्स की ओर से 30 अर्थशास्त्रियों के बीच कराए गए पोल में यह बात सामने आई है।
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पोल के मुताबिक खुदरा महंगाई दर दिसंबर महीने में 3.57 फीसदी के स्तर पर आ सकती है जो नवंबर में 3.63 के स्तर पर थी। खुदरा महंगाई दर का यह स्तर नवंबर 2014 के बाद सबसे निचला स्तर है। साथ ही यह स्तर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के मार्च 2017 के लक्ष्य 5 फीसदी के भी नीचे है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से कालेधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ 8 नवंबर को लिए गए बड़े नोटों को बंद करने का फैसला लिया। इसने अर्थव्यवस्था में खपत को प्रभावित किया। हालांकि सरकार नोटबंदी के असर को छोटी अवधि के लिए मान रही है, लेकिन तमाम अर्थशास्त्री इसके असर से जीडीपी के अनुमानों में भारी कटौती कर रहे हैं।
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मुबंई स्थित एलएंडटी फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इकोनॉमिस्ट रूपा रेगे के मुताबिक नोटबंदी के बाद पैदा हुई नकदी की किल्लत के चलते तमाम खाद्य वस्तुओं के दामों में कमी आई है। इसके चलते आने वाले दिनों में खुदरा महंगाई दर में गिरावट का अनुमान है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने उम्मीद के विपरीत पिछली मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों को 6.25 फीसदी के स्तर पर बिना बदलाव बरकरार रखा था। इसका कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और नोटबंदी के बाद बैंकों में आई भारी नकदी को बताया था।
अगर खुदरा महंगाई दर में गिरावट आती है तो यह रिजर्व बैंक के लिए नीतिगत दरों में कटौती का रास्ता खोलेगा।
इस पोल में यह भी अनुमान लगाया है कि अक्टूबर में इंडस्ट्रियल आउटपुट 1.9 फीसदी गिरने के बाद नवंबर में 1.3 फीसदी की दर से बढ़ सकता है। साथ ही पोल के मुताबिक थोक महंगाई दर में कुछ बढ़त देखने को मिल सकती है। यह नवंबर के 3.15 फीसदी के मुकाबले दिसंबर में 3.50 फीसदी पर रह सकती है।