चोरी को पाप माना जाता है और मंदिर में चोरी को महापाप, लेकिन देश में एक ऐसा मंदिर है जहां पर आपकी मनोकामना चोरी करने के बाद ही पूरी होगी। जी हां, ये अनोखा मंदिर है सिद्घपीठ चूडामणि देवी का मंदिर। जानिए आखिर क्यों चोरी करने के बाद ही यहां होती है मनोकामना पूरी।
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ऐसा माना जाता है कि जिन्हें पुत्र की चाह होती है, वह जोड़ा इस मंदिर में आकर माता के चरणों से लोकड़ा यानि लकड़ी से बना गुड्डा अपने साथ चोरी करके ले जाता है और पुत्र प्राप्ति के बाद उस जोड़े को बेटे सहित यहां पर माथा टेकने आना होता है।
कहा जाता है कि पुत्र प्राप्ति के बाद भंडारा कराने के साथ दंपति आषाढ़ माह में मंदिर से चोरी किए हुए लोकड़े के साथ एक अन्य लोकड़ा भी अपने पुत्र के हाथों चढ़वाते हैं।
गांव के लोगों को कहना है कि इस मंदिर का निर्माण 1805 में लंढौरा रियासत के राजा ने करवाया था। एक बार जब राजा शिकार करने जंगल आए तो उन्हें माता की पिंडी के दर्शन हुए और उन्होंने पुत्र प्राप्ति की मन्नत मांगी। मनोकामना पूरी होने पर राजा ने मंदिर का निर्माण करवाया।
ऐसा भी कहा जाता है कि आज जहां भव्य मंदिर बना हुआ है, वहां पहले घनघोर जंगल हुआ करता था। जहां शेरो की दहाड़ सुनाई पड़ती थी। माना जाता है कि माता की पिंडी पर शेर भी रोजाना माथा टेकने आते थे।