अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से पनामा नहर पर दी गई धमकी का चीन ने विरोध किया है। साथ ही कहा है कि वह हमेशा की तरह नहर पर पनामा की संप्रभुता का सम्मान करेगा और नहर को स्थायी रूप से तटस्थ अंतरराष्ट्रीय जलमार्ग के रूप में मान्यता देगा।
पनामा नहर को लेकर ट्रंप ने क्या कहा था?
ट्रंप ने पनामा पर नहर के इस्तेमाल के लिए अत्यधिक दरें वसूलने का आरोप लगाया था और धमकी दी थी कि अगर अत्यधिक कीमतें वसूलना बंद नहीं किया गया तो वह इस पर फिर से नियंत्रण हासिल कर लेंगे, जिसे अमेरिका ने ‘मूर्खतापूर्ण’ तरीके से अपने मध्य अमेरिकी सहयोगी को सौंप दिया था। अमेरिका ने 1999 में नहर का नियंत्रण पनामा को सौंपा था।
ट्रंप ने तर्क दिया कि अटलांटिक और प्रशांत महासागरों को जोड़ने वाली इस अहम नहर से गुजरने के लिए जहाजों से ‘बेवजह’ शुल्क वसूला जाता है।
पनामा के राष्ट्रपति ने ट्रंप की बात को खारिज किया
ट्रंप के इस बयान के बाद पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो ने अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि ट्रंप का बयान हमारे देश की देश की संप्रभुता का अपमान है और ट्रंप की बात को सिरे से खारिज कर दिया।
82 किलोमीटर लंबी पनामा नहर अटलांटिक और प्रशांत महासागरों के बीच मुख्य कड़ी है। इस जलमार्ग से प्रतिवर्ष लगभग 14 हजार जहाज आवागमन करते हैं। लगभग ढाई प्रतिशत वैश्विक समुद्री व्यापार इस रास्ते से होता है।
ट्रंप के पोस्ट के बाद मचा बवाल
ट्रंप मे इंटरनेट मीडिया ट्रूथ पर पनामा नहर के ऊपर लहराते हुए अमेरिकी झंडे के साथ एक तस्वीर पोस्ट की। उन्होंने लिखा कि संयुक्त राज्य नहर में आपका स्वागत है। इससे तय है कि वह नहर को गलत हाथों में नहीं पड़ने देंगे।
कितना महत्वपूर्ण है पनामा नहर?
पनामा नहर 82 किलोमीटर (51 मील) लंबा जलमार्ग है, जो अटलांटिक महासागर को प्रशांत महासागर से जोड़ता है। पनामा नहर का शॉर्टकट, अटलांटिक और प्रशांत महासागरों के बीच जहाजों के यात्रा समय को बहुत कम कर देता है।
क्या है पनामा नहर का इतिहास?
कोलंबिया, फ्रांस और अमेरिका ने इस नहर के आस पास के क्षेत्र के निर्माण का काम शुरू किया। फ्रांस ने सन् 1881 में नहर पर काम शुरू किया। हालांकि, बाद में निवेशकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। इसके बाद 1889 में फ्रांस ने काम रोक दिया।फिर साल 1904 में अमेरिका ने इस प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया। इसके बाद सन् 1914 में अमेरिका ने नहर खोल दी। वहीं, अमेरिका ने 1999 में मार्ग का नियंत्रण पनामा को सौंप दिया था। इस नहर से गुजरने वाले जहाजों से किराया वसूला जाता है। यह नहर पनामा की अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण है।