28 जुलाई से शुरू हो रहे सावन के महीने में दुर्लभ योग बन रहा है। यह भगवान शिव को मनाने का बहुत अच्छा समय है, लेकिन कुछ सावधानियों के साथ वरना नाराज हो जाएंगे।
चंडीगढ़ में सेक्टर 30 के श्री महाकाली मंदिर स्थित भृगु ज्योतिष केंद्र के प्रमुख बीरेंद्र नारायण मिश्र ने बताया कि इस बार सावन में भगवान शिव की पूजा में अधिक ध्यान लगाना होगा। इस साल सावन का शुभारंभ 28 जुलाई से हो रहा है और समापन 26 अगस्त को होगा। कई सालों के बाद राजसी योग लग रहा है। पूरे 30 दिनों का सावन है और इस बार चार सोमवार होंगे। शुरुआत शनिवार और अंत रविवार को हो रहा है। पहले दिन 28 जुलाई को सूर्योदय 5 बजकर 42 मिनट पर होगा।
सेक्टर-30 स्थित शिव शक्ति मंदिर के प्रमुख पुजारी श्याम सुंदर शास्त्री बताते हैं कि सावन का शुभारंभ श्रवण नक्षत्र, मकर राशि और कर्क लग्न में हो रहा है। मकर राशि का स्वामी शनि है। कर्क का स्वामी चंद्रमा है। चंद्रमा और शनि सम शत्रु है, इसलिए सावन का शुभांरभ राजसी योग में हो रहा है। राजसी योग में भगवान शिव का रुद्राभिषेक और जप करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। पार्वती ने भी सावन में शिव जी को प्रसन्न करके उन्हें पति रूप में पाया था। इसलिए लड़कियां भी मनचाहा वर पा सकती हैं, बस सावन के महीने में सोमवार के व्रत रखने होंगे।
अगर निर्जल व्रत नहीं रख सकते तो फलाहर के साथ व्रत रखा जा सकता है। शिव पुराण का पाठ करें। इस पुराण में बताया गया है कि सावन में इसका पाठ और श्रवण मुक्तिदायी होता है। भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र शामिल करें। तांबे का नाग भगवान शिव को अर्पित करें। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार इससे कालसर्प, सर्प योग और राहु केतु के अशुभ प्रभाव में कमी आती है। सूर्योदय से पहले उठकर भगवान शिव का ध्यान करें और नियमित शिवलिंग का जल से अभिषेक करें।
पुराणों के अनुसार सावन में किया गया जलाभिषेक अन्य दिनों में की अपेक्षा अधिक फलदायी होता है। धतूरा और भांग भगवान शिव को अर्पित करें। मिट्टी से शिवलिंग बनाकर नियमित इसकी पूजा करें। दूध दान करें। शाम के समय भगवान शिव की आरती पूजा करें। सावन के महीने में मांस-मदिरा आदि के सेवन नहीं करना चाहिए। शादी जैसा शुभ कार्य नहीं करने चाहिए। इसके अलावा ब्रह्मचर्य व्रत के नियमों का पालन करना चाहिए। सावन के महीने में एक व्रती को हरी सब्जियां और साग नहीं खाना चाहिए।
ये सभी काम नहीं करने चाहिएं
शरीर पर तेल नहीं लगाना चाहिए और न ही कांसे के बर्तन में खाना-खाना चाहिए। पूजा के समय में शिवलिंग पर हल्दी न चढ़ाएं। शिवलिंग पर न चढ़ाएं हल्दी। दूध का सेवन अच्छा नही होता। यही कारण है कि सावन में भगवान शिव का दूध से अभिषेक करने की बात कही गई है। इससे वात संबंधी दोष से बचाव होता है। दिन के समय नहीं सोना चाहिए। बैंगन नहीं खाना चाहिए। बैंगन को अशुद्ध माना गया है इसलिए द्वादशी, चतुर्दशी के दिन और कार्तिक मास में भी इसे खाने की मनाही है।
सावन के महीने में अगर घर के दरवाजे पर सांड आ आए तो उसे मार कर भगाने की बजाय कुछ खाने को दें। सांड को मारना शिव की सावारी नंदी का अपमान माना जाता है। सावन के महीने में शिव भक्तों का अपमान न करें। भगवान शिव के भक्तों का सम्मान शिव की सेवा के समान फलदायी होता है। यही कारण है कि कई लोग कांवड़ियों की सेवा करते हैं। सावन के महीने में क्रोध में किसी को अपशब्द नहीं कहें और बड़े बुजुर्गों सम्मान करें। जीवनसाथी के साथ वाद-विवाद और अपश्ब्दों का प्रयोग हानिकारक होता है।
इन दिनों शिव पार्वती की पूजा से दांपत्य जीवन में प्रेम और तालमेल बढ़ता है, इसलिए किसी बात से मन मुटाव की आशंका होने पर शिव पार्वती की पूजा करनी चाहिए। सावन के महीने में प्रति दिन भगवान शिव का जलाभिषेक करना चाहिए। इससे कई जन्मों के पाप का प्रभाव कम हो जाता है। शास्त्रों में बताया गया है सावन में सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान ध्यान करके भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए। देर तक सोने से यह अवसर हाथ से चला जाता है और शिव की कृपा से वंचित रह जाते हैं।
सावन के प्रमुख पर्व और त्योहार
30 जुलाई – पहला सोमवार व्रत, 31 जुलाई- संकष्ठी गणेश चतुर्थी व्रत, 6 अगस्त- दूसरा सोमवार व्रत, 8 अगस्त- कामदा एकादशी व्रत, 9 अगस्त- प्रदोष व्रत, 11 अगस्त- हरियाली अमावस्या व शनैश्चरी अमावस्या, 13 अगस्त- तीसरा सोमवार व्रत, 15 अगस्त- नागपंचमी, 20 अगस्त- चौथा सोमवार व्रत, 22 अगस्त- पुत्रदा एकादशी व्रत, 23 अगस्त- प्रदोष व्रत, 26 अगस्त- रक्षा बंधन, स्नान दान की पूर्णिमा
ऐसे करें शिव पूजन
कहते हैं कि भगवान शिव एक लोटा जल में भी प्रसन्न होने वाले देवता हैं। यदि कोई व्यक्ति शिवजी की कृपा प्राप्त करना चाहता है तो उसे रोज शिवलिंग पर जल अर्पित करना चाहिए। विशेष रूप से सावन के हर सोमवार शिवजी का पूजन करें। इस नियम से शिवजी की कृपा प्राप्त की जा सकती है। भगवान की प्रसन्नता से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और परेशानियों दूर सकती हैं।
पूजन की सामान्य विधि
सोमवार को सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि नित्य कर्मों से निवृत्त होकर शिवजी के मंदिर जाएं। मंदिर पहुंचकर भगवान के सामने व्रत का संकल्प लें। इस व्रत में एक समय रात्रि में भोजन चाहिए। दिन फलाहार किया जा सकता है। साथ ही दूध का सेवन भी किया जा सकता है। संकल्प के बाद शिवलिंग पर जल अर्पित करें। गाय का दूध अर्पित करें। इसके बाद पुष्प हार और चावल, कुमकुम, बिल्व पत्र, मिठाई आदि सामग्री चढ़ाएं।
पूजन में शिव मंत्र का जप करें
सावन के महीने में शिव पूजन के साथ ही शिव मंत्र 1- ऊँ महाशिवाय सोमाय नम:। या शिव मंत्र 2-ऊँ नम: शिवाय। मंत्र जप की संख्या कम से कम 108 होनी चाहिए। जप के लिए रुद्राक्ष की माला का उपयोग सर्वश्रेष्ठ रहता है। शिव परिवार (प्रथम पूज्य श्री गणेश, माता पार्वती, कार्तिकेय, नंदी, नाग देवता) का भी पूजन करें।