जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद के मामले में भारत दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। इसके बावजूद कुपोषण की समस्या देश को जकड़े हुए है। इसकी वजह से देश की बड़ी आबादी खराब स्वास्थ्य से जूझ रही है, जिसका असर देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ रहा है।
औद्योगिक संस्था एसोचैम और कंसंल्टेंसी फर्म ईवाय ने इस साल जनवरी में कुपोषण के आर्थिक प्रभावों के बारे में संयुक्त रिपोर्ट पेश की थी। इसके मुताबिक कुपोषण की वजह से देश की जीडीपी को तकरीबन चार फीसद का नुकसान होता है। यह नुकसान लोगों की उत्पादकता घटने और कुपोषण से होने वाली बीमारियों के इलाज में लगने वाली राशि के चलते होता है। अगर लोगों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जा सके तो उन्हें इस आर्थिक नुकसान से बचाया जा सकता है।
गंभीर हालात
देश में 90 फीसद बच्चों को संतुलित और पौष्टिक आहार नहीं मिलता है। नतीजतन इन बच्चों का सही शारीरिक और मानसिक विकास नहीं हो पाता। यह बच्चे जब देश की कामकाजी आबादी में जुड़ते हैं तो उत्पादकता के मानकों पर कम रह जाते हैं। इससे उनकी आय भी कम होती है और देश की अर्थव्यवस्था पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
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