देश में वर्ष 2017-18 में गोद लिए गए 80 फीसदी से अधिक बच्चों की उम्र दो वर्ष से कम थी लेकिन इस आयुवर्ग के ज्यादातर बच्चे गोद देने के लिए कानूनी रूप से मुक्त नहीं हैं. केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (कारा) की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2017-18 में गोद दिए गए 2,537 बच्चों की उम्र दो वर्ष से कम थी जबकि दो वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों की संख्या महज 597 थी. आंकड़ों के मुताबिक, दो से चार वर्ष की आयु सीमा के 228 बच्चे गोद लिए गए , चार से छह वर्ष की आयु के 143 बच्चे गोद लिए गए और छह वर्ष से अधिक उम्र के गोद लिए गए बच्चों की संख्या 226 थी. कारा के सीईओ लेफ्टिनेंट कर्नल (सेवानिवृत्त) दीपक कुमार ने बताया , ‘कारा के साथ बच्चों की देखभाल करने वाली 8,000 से ज्यादा संस्थाएं पंजीकृत हैं. उनके पास 90 फीसदी से अधिक बच्चे पांच से छह वर्ष के हैं. भारत में ऐसे दंपती की संख्या बहुत कम है जो इस आयुवर्ग के बच्चे को गोद लेना चाहते हैं.’ कुमार ने बताया कि ऐसे में इस आयु के बच्चों को पालन - पोषण के लिए किन्हीं परिवारों में भेज जाता है. इसे फोस्टर केयर कहते हैं. दीपक कुमार ने कहा , ‘हमें पता है कि पांच से छह साल की उम्र के बच्चों को गोद देना आसान नहीं होगा. ऐसे में वह किसी बाल देखभाल संस्थान में पलकर बढ़े हों, इसके बजाए उन्हें पालन - पोषण के लिए किसी परिवार में भेज दिया जाता है. ’ कुमार ने बताया कि अधिकांश दंपती कम उम्र के बच्चों को गोद लेना चाहते हैं लेकिन हमारे पास उस उम्र के गोद देने के लिए कानूनी रूप से मुक्त बच्चे नहीं हैं. उन्होंने बताया , ‘‘ कारा के पास करीब 20,000 दंपती ने बच्चे को गोद लेने के लिए आवेदन दे रखा है लेकिन वह जिस आयुवर्ग के बच्चे चाहते हैं , वह हमारे पास नहीं हैं. ’’ चाइल्ड अडॉप्श्न रिसोर्स इंफर्मेशन एंड गाइडेंस सिस्टम (सीएआरआईएनजीएस) के मुताबिक गोद लेने के इच्छुक हर नौ दंपती की तुलना में केवल एक ही बच्चा उपलब्ध है. अंतर्देश दत्तक प्रक्रिया में उलटा चलन है जहां गोद दिए गए 718 बच्चों में से 389 की उम्र दो वर्ष से अधिक थी. उन्होंने बताया कि जिन बच्चों को भारत में घर नहीं मिल पाता केवल उन्हें ही अन्य देश में गोद देने के लिए रखा जाता है.

दो साल से कम उम्र के बच्चे गोद लेना चाहते हैं ज्यादातर भारतीय

देश में वर्ष 2017-18 में गोद लिए गए 80 फीसदी से अधिक बच्चों की उम्र दो वर्ष से कम थी लेकिन इस आयुवर्ग के ज्यादातर बच्चे गोद देने के लिए कानूनी रूप से मुक्त नहीं हैं. केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (कारा) की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2017-18 में गोद दिए गए 2,537 बच्चों की उम्र दो वर्ष से कम थी जबकि दो वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों की संख्या महज 597 थी.देश में वर्ष 2017-18 में गोद लिए गए 80 फीसदी से अधिक बच्चों की उम्र दो वर्ष से कम थी लेकिन इस आयुवर्ग के ज्यादातर बच्चे गोद देने के लिए कानूनी रूप से मुक्त नहीं हैं. केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (कारा) की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2017-18 में गोद दिए गए 2,537 बच्चों की उम्र दो वर्ष से कम थी जबकि दो वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों की संख्या महज 597 थी.   आंकड़ों के मुताबिक, दो से चार वर्ष की आयु सीमा के 228 बच्चे गोद लिए गए , चार से छह वर्ष की आयु के 143 बच्चे गोद लिए गए और छह वर्ष से अधिक उम्र के गोद लिए गए बच्चों की संख्या 226 थी. कारा के सीईओ लेफ्टिनेंट कर्नल (सेवानिवृत्त) दीपक कुमार ने बताया , ‘कारा के साथ बच्चों की देखभाल करने वाली 8,000 से ज्यादा संस्थाएं पंजीकृत हैं. उनके पास 90 फीसदी से अधिक बच्चे पांच से छह वर्ष के हैं. भारत में ऐसे दंपती की संख्या बहुत कम है जो इस आयुवर्ग के बच्चे को गोद लेना चाहते हैं.’   कुमार ने बताया कि ऐसे में इस आयु के बच्चों को पालन - पोषण के लिए किन्हीं परिवारों में भेज जाता है. इसे फोस्टर केयर कहते हैं.  दीपक कुमार ने कहा , ‘हमें पता है कि पांच से छह साल की उम्र के बच्चों को गोद देना आसान नहीं होगा. ऐसे में वह किसी बाल देखभाल संस्थान में पलकर बढ़े हों, इसके बजाए उन्हें पालन - पोषण के लिए किसी परिवार में भेज दिया जाता है. ’   कुमार ने बताया कि अधिकांश दंपती कम उम्र के बच्चों को गोद लेना चाहते हैं लेकिन हमारे पास उस उम्र के गोद देने के लिए कानूनी रूप से मुक्त बच्चे नहीं हैं. उन्होंने बताया , ‘‘ कारा के पास करीब 20,000 दंपती ने बच्चे को गोद लेने के लिए आवेदन दे रखा है लेकिन वह जिस आयुवर्ग के बच्चे चाहते हैं , वह हमारे पास नहीं हैं. ’’ चाइल्ड अडॉप्श्न रिसोर्स इंफर्मेशन एंड गाइडेंस सिस्टम (सीएआरआईएनजीएस) के मुताबिक गोद लेने के इच्छुक हर नौ दंपती की तुलना में केवल एक ही बच्चा उपलब्ध है.   अंतर्देश दत्तक प्रक्रिया में उलटा चलन है जहां गोद दिए गए 718 बच्चों में से 389 की उम्र दो वर्ष से अधिक थी. उन्होंने बताया कि जिन बच्चों को भारत में घर नहीं मिल पाता केवल उन्हें ही अन्य देश में गोद देने के लिए रखा जाता है.

आंकड़ों के मुताबिक, दो से चार वर्ष की आयु सीमा के 228 बच्चे गोद लिए गए , चार से छह वर्ष की आयु के 143 बच्चे गोद लिए गए और छह वर्ष से अधिक उम्र के गोद लिए गए बच्चों की संख्या 226 थी. कारा के सीईओ लेफ्टिनेंट कर्नल (सेवानिवृत्त) दीपक कुमार ने बताया , ‘कारा के साथ बच्चों की देखभाल करने वाली 8,000 से ज्यादा संस्थाएं पंजीकृत हैं. उनके पास 90 फीसदी से अधिक बच्चे पांच से छह वर्ष के हैं. भारत में ऐसे दंपती की संख्या बहुत कम है जो इस आयुवर्ग के बच्चे को गोद लेना चाहते हैं.’

कुमार ने बताया कि ऐसे में इस आयु के बच्चों को पालन – पोषण के लिए किन्हीं परिवारों में भेज जाता है. इसे फोस्टर केयर कहते हैं.  दीपक कुमार ने कहा , ‘हमें पता है कि पांच से छह साल की उम्र के बच्चों को गोद देना आसान नहीं होगा. ऐसे में वह किसी बाल देखभाल संस्थान में पलकर बढ़े हों, इसके बजाए उन्हें पालन – पोषण के लिए किसी परिवार में भेज दिया जाता है. ’

कुमार ने बताया कि अधिकांश दंपती कम उम्र के बच्चों को गोद लेना चाहते हैं लेकिन हमारे पास उस उम्र के गोद देने के लिए कानूनी रूप से मुक्त बच्चे नहीं हैं. उन्होंने बताया , ‘‘ कारा के पास करीब 20,000 दंपती ने बच्चे को गोद लेने के लिए आवेदन दे रखा है लेकिन वह जिस आयुवर्ग के बच्चे चाहते हैं , वह हमारे पास नहीं हैं. ’’ चाइल्ड अडॉप्श्न रिसोर्स इंफर्मेशन एंड गाइडेंस सिस्टम (सीएआरआईएनजीएस) के मुताबिक गोद लेने के इच्छुक हर नौ दंपती की तुलना में केवल एक ही बच्चा उपलब्ध है.

अंतर्देश दत्तक प्रक्रिया में उलटा चलन है जहां गोद दिए गए 718 बच्चों में से 389 की उम्र दो वर्ष से अधिक थी. उन्होंने बताया कि जिन बच्चों को भारत में घर नहीं मिल पाता केवल उन्हें ही अन्य देश में गोद देने के लिए रखा जाता है.

 
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