नई दिल्ली। डोनाल्ड ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि वो अमेरिकी नागरिकों की नौकरी का ख्याल रखने के लिए विदेश से आने वालों के वीजा नियमों में जरूरी बदलाव करेंगे। सत्ता में आते ही उन्होंने ऐसा किया भी।

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H-1B वीजा नियमों में उनकी सरकार ने बदलाव प्रस्तावित कर दिए हैं, जिसका असर भारत से अमेरिका जाकर नौकरी करने वालों पर सबसे ज्यादा पड़ेगा।
नए नियमों का भारतीयों पर पड़ेगा यह असर
वीजा फीस में बढ़ोतरी
अमेरिका पिछले साल जनवरी 2016 में H-1B और L-1 वीजा की फीस बढ़ा चुका है। H-1B वीजा की फीस 2000 डॉलर से बढ़ाकर 6000 डॉलर की जा चुकी है। वहीं L-1 वीजा की फीस 4500 डॉलर की जा चुकी है।
जिन अमेरिकी कंपनियों में 50 से ज्यादा लोग कार्यरत हैं, उनमें आधे लोग H-1B या फिर L-1 वीजा धारक होते हैं।
बदल सकता है योग्यता का पैमाना
नए नियम प्रोटेक्ट एंड ग्रो अमेरिकन जॉब्स एक्ट के तहत अमेरिका में नौकरी करने के लिए योग्यता का नया पैमाना बनाया जा सकता है। नए नियम ये हो सकते हैं:
H-1B वीजा आवेदन के लिए मास्टर डिग्री अनिवार्य होने का नियम हटाया जा जा सकता है। इससे उन्हें अतिरिक्त पेपर वर्क से मुक्ति मिल जाएगी। अधिकांश भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स जो अमेरिका जाते हैं, उनके पास मास्टर डिग्री या उससे उच्च योग्यता होती है, जिससे उन्हें अन्य देशों के आवेदकों के मुकाबले वरीयता मिलती है।
जिन कंपनियों में 50 कर्मचारी होंगे तथा उसमें से 50 फीसदी H-1B या L1 वीजा पर होंगे वो विदेशों से नई नियुक्तियां नहीं कर सकेंगे।
नए कानून में H-1B वीजा धारकों के लिए न्यूनतम सैलेरी 100,000 डॉलर सालाना (अभी 60,000 डॉलर/सालाना) करने का प्रावधान किया गया है।
नौकरी की तलाश कर रहे भारतीयों पर असर
नया नियम कहता है कि अगर आपको अमेरिका के बाहर से कर्मचारी लाना है तो उसे अच्छा भुगतान करना होगा। इसका असर भारत से अमेरिका जाने वाले नौकरीपेशा लोगों पर पड़ेगा क्योंकि उनका वेतन पहले से बेहतर हो जाएगा। नया नियम L1 वीजा लेने वालों को प्रोत्साहित करेगा।
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अमेरिका को भारतीय टैलेंट क्यों चाहिए
भारतीय आईटी इंडस्ट्री का मानना है कि अमेरिका में आईटी टैलेंट की बेहद कमी है। भारतीय आईटी कंपनियां, अमेरिका में जॉब्स भी दे रही हैं और वहां की अर्थव्यवस्था में योगदान भी कर रही हैं।
भारतीय आईटी कंपनियों से अमेरिका में 4 लाख डायरेक्ट तथा इन डायरेक्ट जॉब्स मिल रहे हैं। वहीं अमेरिकी इकोनॉमी में 5 बिलियन डॉलर बतौर टैक्स चुकाए जा रहे हैं।
भारत से हर साल H-1B तथा L-1 वीजा फीस के रूप में अमेरिका को 1 बिलियन डॉलर की आमदनी हो रही है।
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