इन मामलों से जुड़े सुरक्षा तंत्र के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अर्बन मॉड्यूल पर नकेल कसना ज्यादा चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। यह मॉड्यूल नक्सलियों को वैचारिक मदद के साथ स्वास्थ्य और कानूनी सहायता मुहैया कराता है।
उनके मुताबिक, महानगरों से नामचीन यहां तक सरकारी संस्थानों में इस मॉड्यूल के लोगों के सक्रिय होने की खुफिया जानकारी है। पिछले महीने गढ़चिरौली में हुई बड़ी कार्रवाई के बाद घायल नक्सलियों को डॉक्टरी सहायता मिली है। वर्ना मारे गए नक्सलियों की संख्या 32 से ज्यादा होती।
सूत्रों के मुताबिक, सारी तैयारी दरअसल छत्तीसगढ़ के 4000 वर्ग किलोमीटर में फैले अबूजमाड़ के जंगल के मद्देनजर की जा रही है। यह ऐसा दुर्गम इलाका है जिसके बारे में सटीक जानकारी अब तक सुरक्षा बल के पास नहीं है।
नक्सल प्रभावित इलाकों में सख्ती की सूरत में नक्सली इसी इलाके को अपना महफूज ठिकाना बनाते हैं। इसकी घेराबंदी के लिए 5000 से अधिक अति प्रशिक्षित फोर्स की जरूरत है। इन चार बटालियन की ट्रेनिंग के बाद जंगल में मकड़े के जाल की तरह सुरक्षा बलों की तैनाती होगी जिससे नक्सलियों की आवाजाही पर अंकुश लगाया जा सकेगा।
गृह मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार,नक्सल प्रभावित इलाकों में विकास के काम इसी उद्देश्य से किए जा रहे हैं कि फोर्स के वहां से हटने पर नक्सली दोबारा अपना प्रभाव नहीं बना सकें।
मंत्रालय की योजनाओं के तहत चल रहे काम के परिणामस्वरूप केंद्र ने ओडिशा, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, बिहार और छत्तीसगढ़ के कुछ जिलों समेत 44 जिलों को नक्सल मुक्त घोषित किया है।