नगर निगम की छानबीन में कई जगहो पर पायेगे, डेंगू मच्छर के लार्वा...

नगर निगम की छानबीन में कई जगहो पर पायेगे, डेंगू मच्छर के लार्वा…

शहर के अलग-अलग इलाकों में जलभराव से डेंगू का खतरा और बढ़ गया है। पहले सीएमओ की टीम को 21 स्थानों पर डेंगू के मच्छरों का लार्वा मिला। अब नगर निगम की छानबीन में भी कई जगह लार्वा पाए गए हैं। इस पर अफसरों ने चिंता जताई है। साथ ही शहरवासियों से अपील की है कि जलभराव की समस्या से निपटने में मदद करें। यदि कहीं जलभराव है तो सूचना नगर निगम के अफसर, कर्मचारियों को दें। इसके लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया गया है, जिसका नंबर 7607003692, 0551-2200450 है। नगर निगम की छानबीन में कई जगहो पर पायेगे, डेंगू मच्छर के लार्वा...अब अंग्रेजों के जमाने का स्कूल हो जाएगा मॉडल…

शहर में डेंगू के दो मरीज मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग के अलावा नगर निगम भी इसकी रोकथाम को लेकर सक्रिय हो गया है। निगम की जांच में राप्तीनगर बस डिपो में रखे बेकार टायरों में डेंगू के लार्वा मिले हैं। रेलवे स्टेशन के आसपास जलभराव और गंदगी के बीच यह लार्वा पनपा है। ट्रांसपोर्ट नगर में अलग-अलग इलाकों में भी खतरनाक डेंगू मच्छर के लार्वा पाए गए हैं। अब इन्हें नष्ट करने की कवायद की जा रही है। मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मुकेश रस्तोगी ने बताया कि पंक्चर बनाने वाले दुकानों पर रखे बेकार टायरों में जमा पानी तत्काल हटाने के निर्देश दिए गए हैं।

एंटी लार्वा का छिड़काव कराया जा रहा है। उन्होंने नागरिकों से अपील की है कि गमलों को साफ-सुथरा रखें। कूलर के पानी में लार्वा जल्दी पैदा होता है। इसलिए इसके पानी को रोजाना बदलें। उन्होंने बताया कि शहर के तमाम इलाके ऐसे हैं, जहां जलभराव की समस्या है। नगर निगम इसके लिए विशेष अभियान चला रहा है लेकिन जनता का सहयोग भी जरूरी है। जलभराव की सूचना सीधे देकर डेंगू जैसी बीमारी से बचा जा सकता है।  

ये सतर्कता जरूरी
– घर के आसपास जलभराव न होने दें
– गमले और कूलर के पानी में लार्वा पैदा होने का खतरा ज्यादा
– मक्खियों के बीट पर भी डेंगू के लार्वा पैदा होने की आशंका अधिक

आईओसी की मदद नहीं ले सका नगर निगम 
इंसेफेलाइटिस, डेंगू और मलेरिया मच्छर जनित बीमारी है, फिर भी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) की मदद से मच्छरों को नष्ट करने का अभियान परवान नहीं चढ़ सका। दरअसल, इंडियन ऑयल ने मच्छरों पर नियंत्रण के लिए ‘सर्वो मॉसकीटो लार्वा ऑयल’ तैयार किया है। इस उत्पाद को वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) से भी मान्यता मिल चुकी है। फील्ड ट्रायल सफल है। इसके बावजूद नगर निगम इसका छिड़काव शुरू नहीं करा सका। 9.6 मिलीलीटर ऑयल से एक वर्ग मीटर क्षेत्र के लार्वा का खत्म किए जा सकते हैं। इसकी मारक क्षमता 90 फीसदी होती है।

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