नवरात्रि के आखिरी दिन मां दुर्गा के 9वें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मां की आराधना करने से व्यक्ति जिनकी आराधना से व्यक्ति को सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं। साथ ही बुरे कर्मों से लड़ने की शक्ति भी प्राप्त होती है। मान्यता है कि मां सिद्धिदात्री की अगर सच्चे मन से पूजा-अर्चना की जाए तो व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी होती हैं। आइए पढ़ते हैं मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि, मंत्र और आरती।
मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि:
सबसे पहले मां की तस्वीर या मूर्ति रखें। फिर मां की आरती और हवन करना चाहिए। हवन करते समय व्यक्ति को सभी देवी-देवताओं की पूजा करनी चाहिए। फिर मां का नाम लेना चाहिए। इस दौरान दुर्गा सप्तशती के सभी श्लोक मंत्र पढ़ने चाहिए। इन मंत्रों के साथ ही आहुति दें। मां के बीज मंत्र का 108 बार जाप करें। भगवान शंकर और ब्रह्मा जी की पूजा करें फिर मां की अराधना करें। मां को प्रसाद चढ़ाएं। सभी लोगों को प्रसाद भी बांटें।
मां सिद्धिदात्री की स्तुति:
या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।
मां सिद्धिदात्री की प्रार्थना:
सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।
मां सिद्धिदात्री के मंत्र:
1. अमल कमल संस्था तद्रज:पुंजवर्णा, कर कमल धृतेषट् भीत युग्मामबुजा च।
मणिमुकुट विचित्र अलंकृत कल्प जाले; भवतु भुवन माता संत्ततम सिद्धिदात्री नमो नम:।
2. ओम देवी सिद्धिदात्र्यै नमः।
मां सिद्धिदात्री बीज मंत्र:
ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम
मां सिद्धिदात्री की आरती:
जय सिद्धिदात्री मां तू सिद्धि की दाता ।
तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता ।।
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि ।
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि ।।
कठिन काम सिद्ध करती हो तुम ।
जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम ।।
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है ।
तू जगदंबे दाती तू सर्व सिद्धि है ।।
रविवार को तेरा सुमिरन करे जो ।
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो ।।
तू सब काज उसके करती है पूरे ।
कभी काम उसके रहे ना अधूरे ।।
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया ।
रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया ।।
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली ।
जो है तेरे दर का ही अंबे सवाली ।।
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा ।
महा नंदा मंदिर में है वास तेरा ।।
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता ।
भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता ।।