नवरात्रि के सांतवे दिन मां कालरात्रि की उपासना की जाती है। इनकी पूजा करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है व दुश्मनों का नाश होता है। ऐसी मान्यता है कि इनका स्मरण करने से ही बुरी शक्तियां दूर चली जाती हैं। साथ ही ग्रह की बाधाओं को भी दूर होती है। 
27 सितंबर 2017 बुधवार का राशिफल: आज इन राशि वालों के जीवन में होगा शुभ परिवर्तन…
देवी कालात्रि को व्यापक रूप से माता काली, महाकाली, भद्रकाली, भैरवी, मृित्यू, रुद्रानी, चामुंडा, चंडी और दुर्गा के कई विनाशकारी रूपों में से एक माना जाता है।
देवी के इस रूप की उपासना नवरात्रि के सातवें दिन करने से सभी राक्षस,भूत पिसाच और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
माता के शरीर का रंग काले बादल की तरह एकदम काला है। सिर के बाल बिखरे हुए हैं। गले में बिजली की तरह चमकने वाली माला है। इनके तीन नेत्र हैं।
माँ कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है, लेकिन ये सदैव शुभ फल ही देने वाली हैं। इसी कारण इनका एक नाम ‘शुभंकारी’ भी है। अतः इनसे भक्तों को किसी प्रकार भी भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है।
TOS News Latest Hindi Breaking News and Features