पंजाब के कपूरथला के मोहब्बत नगर निवासी संजीव कुमार सूद के पास 300 साल पुरानी क़ुरान है। यह क़ुरान असल में माचिस की डिबिया से भी छोटी है।
संजीव कुमार सूद के परिवार ने इस क़ुरान को करीब 30 दशकों से संभाल कर रखा हुआ है। संजीव का कहना है कि यह परम्परा उनके दादा जसवंत राय सूद के समय से चली आ रही है। इस नायाब क़ुरान को संजीव हरे रंग के कपड़े में बांध कर आज भी बड़ी तहजीब से सम्हाल कर रखते हैं।
संजीव का कहना है कि उनके दादा को कपूरथला रियासत के एक वजीर ने यह दुर्लभ कुरान शरीफ भेंट की थी। इस कुरान को एक लोहे के छोटे केस में अदब के साथ रखा हुआ था और उसके ऊपर एक लेंस लगा हुआ था। जिसकी मदद से इसे पढ़कर अल्लाह की इबादत की जाती थी। अब लेंस किसी वजह से टूट गया है। संजीव सूद ने बताया कि दुबई से कुछ शेख आए थे। उन्होंने इस कुरान शरीफ को बहुत ही नायाब और दुर्लभ बताया था। उन्होंने इस कुरान शरीफ को लेने के लिए एक करोड़ की पेशकश दी, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया।
कैसी है यह क़ुरान-
यह कुरान 2.5 सेंटीमीटर लंबी, 2 सेंटीमीटर चौड़ी और 1 सेंटीमीटर मोटी है। कुरान में 358 पन्ने हैं, जिसमें 8 आयतें लिखी हैं।
कुछ खास बातें-
सूद ने बताया कि उनके दादा के बाद उनके पिता शिवदर्शन सूद भी इसको आगे बढ़ाते रहे हैं। अब वर्तमान में वह खुद इसका अनुसरण कर रहे हैं। सूद ने बताया कि दुबई से आने वाले शेख ने ही उनको बताया था कि यह अमूल्य धरोहर है। इसको हरे रंग के कपड़े में सहेज कर पूर्ण मर्यादा के साथ अपने सिर के ऊपर रखें। उनके कहे अनुसार इसका पालन हो रहा है। सन् 1982-83 में लाहौर से तीन मुस्लिम जालंधर में उनके पास खास इस क़ुरान को देखने के लिए आये थे। सूद के मुताबिक सात साल पहले जालंधर के मौलवी भी उनके पास आये थे। 2010 में इस सूक्ष्म क़ुरान की वीडियो सीडी तैयार कर लंदन के म्यूजियम में भेज दी गई है।