भोपाल। वन, योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी मंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार नरसिंहपुर जिले के घाट पिपरिया (महादेव पिपरिया) में नर्मदा सेवा यात्रा में सपत्नीक शामिल हुए। उन्होंने जन-संवाद कार्यक्रम में कहा कि मां नर्मदा के आचमन योग्य जल को गंदा नहीं होने दें। ऐसा कोई भी कार्य न करें, जिससे नर्मदा का जल अशुद्ध हो। नर्मदा हमारे प्रदेश की जीवन-रेखा है। नर्मदा केवल जल की आपूर्ति ही नहीं करती, बल्कि हमारी सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक गतिविधियाँ भी मुख्य रूप से नर्मदा पर आश्रित हैं।
उन्होंने कहा कि नर्मदा का प्रवाह अविरल बना रहे, इसके लिए नर्मदा के दोनों तरफ एक- एक किलोमीटर के दायरे में छायादार और फलदार वृक्ष लगाये जायें। वन विभाग जंगल एवं शासकीय भूमि पर वृक्षारोपण करेगा, जो किसान अपनी निजी जमीन पर फलदार वृक्ष लगायेंगे उन्हें शासन की ओर से तीन वर्ष तक 20 हजार रूपये प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष सहायता दी जायेगी।
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वन मंत्री ने कहा कि नर्मदा सेवा यात्रा जनांदोलन का रूप ले चुकी है। इस यात्रा से पर्यावरण एवं जल संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ रही है। साधु- संत और धर्माचार्य अब पर्यावरण के महत्व को प्रमुखता से जन- सामान्य को बता रहे हैं और पर्यावरण सुधार के प्रति लोगों को प्रेरित कर रहे हैं।
मध्यप्रदेश गौ संवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद महाराज ने कहा कि नर्मदा जल संरक्षण के लिए हम सबको मिलकर प्रयास करने होंगे। नर्मदा तट के गांवों में शौचालयों का उपयोग अनिवार्य रूप से किया जाये।
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विभिन्न स्कूलों के विद्यार्थियों ने नर्मदा जल और पर्यावरण संरक्षण के साथ- साथ स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए नुक्कड़ नाटक की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में सांस्कृतिक कार्यक्रम और गीतों के माध्यम से भी स्वच्छता का संदेश दिया गया।
नर्मदा सेवा यात्रा में ग्रामीणों के साथ वन मंत्री ने यात्रा पथ का पैदल भ्रमण किया। यात्रा में लोग उत्साह से शामिल हुए और पर्यावरण एवं जल-संरक्षण के लिये प्रेरक नारे लगाये गये।