इस्तीफा, फिर सीएम पद की शपथ और शुक्रवार को नीतीश कुमार ने विधानसभा में विश्वास मत भी हासिल कर लिया. इसी के साथ तय हो गया कि अब वे जेडीयू-बीजेपी के साथ बिहार की सरकार चलाएंगे. लालू यादव की पार्टी का साथ छोड़ने के बाद फिर से एनडीए में लौटने वाले नीतीश को आगे चलकर हो सकता है कि राजनीतिक उठापटक का सामना करना पड़ सकता है. पर बात विकास की करें तो उनके पास शानदार मौका है. कई ऐसे कारण हैं कि कभी सुशासन बाबू के नाम से मशहूर रहे नीतीश कुमार, इस आर्थिक तौर पर पिछड़े राज्य को बहुत आगे ले जा सकते हैं.
ये 5 ऐसे कारण, जो बदल सकते हैं बिहार की तस्वीर
1. पैकेज पहुंचने की उम्मीद- मोदी के विकास ड्रीम को कैसे मिलेगी मदद?
2014 में केंद्र में सरकार बनाने के बाद नरेंद्र मोदी और बीजेपी ने 2015 में बिहार जीतने के भरसक कोशिश की. पर नीतीश-लालू के साथ आने से ऐसा हो नहीं पाया. पर बिहार में सरकार बनाने का अंतिम लक्ष्य 2017 में ही सही, हासिल हो गया. ऐसे में मोदी ने जो बिहार से विकास का वादा किया था, अब उन्हें पूरा करने का वक्त आ गया है.
नीतीश कुमार का बीजेपी के साथ बिहार में पहला कार्यकाल शानदार रहा था. सड़क और बिजली पर उन्होंने अच्छा काम किया था. ऐसे में अगर अब मोदी सरकार बिहार का साथ देती है तो राज्य की तस्वीर बदल सकती है. मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान 125,000 करोड़ देने का वादा किया था. बता दें कि पिछले दिनों एक आरटीआई में खुलासा हुआ था कि सरकार ने अभी तक इस ऐलान से कोई भी फंड नहीं जारी किया है.
2. लुक ईस्टः पिछड़े पर ज्यादा ध्यान, बीजेपी की सबसे बड़ी पॉलिसी!
बीजेपी यूपी के बाद लुक ईस्ट पॉलिस के तहत बड़े राज्यों पर फोकस किए हुए है. बीजेपी किसी भी कीमत पर आने वाले दिनों में ईस्ट के राज्यों- बंगाल, बिहार में अपनी पकड़ मजबूत रखनी चाहती है. इसमें मदद कर सकता है, बिहार में नीतीश कुमार का शासन. मोदी अपने बयानों में कई बार इस बात का जिक्र कर चुके हैं कि देश के पश्चिमी राज्यों की तरह वे पूर्वी राज्यों को भी विकास की गाड़ी पर बैठाना चाहते हैं. ऐसे में अगर इस ओर गंभीरता से कुछ काम होता है तो नीतीश कुमार के नेतृत्व में इसका सबसे बड़ा और पहला फायदा बिहार को ही होगा.
3. दिल्ली-बिहार में समानता- 19 साल बाद बना ये संयोग
4. छवि का फायदाः मोदी-नीतीश दोनों विकास को देते हैं तरजीह
नीतीश भले ही राजनीतिक तौर पर कई बार चौंकाने वाले झटके दे चुके हैं पर शासन चलाने में उनकी शैली भी मोदी की तरह ही है. उनका भी ज्यादा जोर विकास पर ही रहा है. पहला कार्यकाल इसका उदाहरण रहा है. इसके चलते जंगल राज कहे जाने वाले बिहार में अपहरण, हत्या जैसे मामले कम भी हुए थे. राजनीतिक उठापटक के कारण नीतीश खुद की खई जमीन तलाशने की कोशिश करेंगे, ऐसे में विकास के अलावा उनके पास कोई दूसरा बड़ा विकल्प नहीं होगा.
5. मजबूत विपक्ष- तेजस्वी का रोल भी बढ़ेगा
चाचा नीतीश कुमार के साथ भले ही लालू के दूसरे बेटे तेजस्वी को सत्ता चलाने का तरीका आया हो या नहीं पर उनके पास मजबूत विपक्ष का रोल प्ले करने का मौका है. वे चाहें तो आरजेडी के 87 विधायकों के साथ बिहार में जेडीयू-बीजेपी की सरकार को परेशान कर सकते हैं. ऐसे में विपक्ष के दबाव में इस सरकार को प्रदर्शन करना ही होगा. बिहार में एक मजबूत विपक्ष लंबे समय से नहीं है. नीतीश ने कहा था कि लालू उन्हें काम नहीं करने दे रहे हैं, ऐसे में उनके पास अब ये बहाना भी नहीं होगा.