समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा के इस्तीफे के बाद एक बार फिर से नीतीश कैबिनेट के विस्तार की अटकलें तेज हो गईं हैं। पूर्व प्रदेश कांग्र्रेस अध्यक्ष अशोक चौधरी के नेतृत्व में कांग्रेस के चार विधान परिषद सदस्यों के जदयू में शामिल होने के बाद से ही मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा चल रही है। बुधवार को मंजू वर्मा के इस्तीफा देने के बाद यह चर्चा एक बार फिर और तेज हो गई। 
कैबिनेट में फिलहाल आठ जगह खाली है। राजनीतिक गलियारे में जल्द ही आधे दर्जन नए मंत्रियों के जल्द शामिल किए जाने की चर्चा है। वैसे भी आठ महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए मंत्रिमंडल विस्तार को अपरिहार्य माना जा रहा है। लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि मंत्रिमंडल विस्तार नवरात्र तक टल भी सकता है।
समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा राज्य कैबिनेट में एकमात्र महिला सदस्य थी। ऐसे में कम से कम एक महिला सदस्य को जगह मिलना तय है। पूर्व मंत्री लेसी सिंह या रंजू गीता को जदयू कोटे से मंत्री बना दिया जाए तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। कांग्रेस छोड़कर जदयू में शामिल हुए अशोक चौधरी को भी मंत्रिमंडल में जगह मिलना तय है। उनको बैलेंस करने के लिए श्याम रजक को भी मंत्री बनाया जा सकता है।
मंजू वर्मा की रिक्त हुई सीट पर किसी कुशवाहा को मंत्री बनाये जाने की चर्चा है। अभय कुशवाहा उमेश कुशवाहा, रामसेवक सिंह और रामबालक सिंह इसके दावेदार हैं।
अभय कुशवाहा को युवा जदयू की कमान दे दी गई है और वह जिस मगध प्रमंडल से आते हें वहां से कृष्णनंदन वर्मा इस समाज से पहले ही मंत्री बने हुए हैं, इसलिए उत्तर बिहार के किसी कुशवाहा नेता को यह पद मिल जाए तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। भाजपा का कोटा लगभग पूरा हो गया है। नीतीश कैबिनेट में रालोसपा को कोई जगह नहीं मिली है। अगर एनडीए के केंद्रीय नेतृत्व का दबाव पड़ा तो रालोसपा के सुधांशु शेखर को भी मंत्री बनाया जा सकता है।
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