राष्ट्रपति चुनाव के जरिए विचारधारा की लड़ाई में एनडीए से टकराने की विपक्षी एकता बिखर गई है. नीतीश कुमार ने एनडीए उम्मीदवार का साथ देने का ऐलान क्या किया, कांग्रेस और विपक्षी दलों को तो मानो काटो तो खून नहीं. आखिर इस एकता के निशाने पर 2019 का लोकसभा चुनाव है और केंद्र के संघ की विचारधारा का विरोध. ऐसे में विपक्ष और कांग्रेस के सामने नीतीश ने 5 सवाल जरूर खड़े कर दिए हैं, जिनका जवाब उसको खोजते नहीं मिल रहा.विवादित पोस्टर से परेशान होकर AAP ने लगाया पहरेदार
1. नीतीश ने एनडीए के राष्ट्रपति उम्मीदवार के समर्थन किया है, जो संघ के बैकग्राउंड से आते हैं. ऐसे में विपक्ष के खिलाफ वो वोट करेंगे तो फिर बाद में विपक्ष के साथ आने पर विपक्ष की विश्वसनीयता कितनी बचेगी?
2. जिस विचारधारा के खिलाफ विपक्ष मोर्चा खोल रहा है उसके एक मजबूत चेहरे का समर्थन क्या विपक्ष को कमजोर नहीं कर देगा?
3. विचारधारा की बात करने वाली कांग्रेस और लालू क्या बिहार में नीतीश के नेतृत्व में सरकार में बने रहेंगे? आखिर तब विचारधारा का सवाल कहां जाएगा? क्योंकि, नीतीश तर्क कुछ भी दें, लेकिन विपक्ष की मूल लड़ाई के खिलाफ तो वो जा ही रहे हैं.
4. क्या विपक्ष नीतीश को किनारे करके नीतीश पर घर वापसी की तोहमत लगाने की हिम्मत कर पायेगा? नीतीश को एनडीए के साथी होने का तमगा दे पाएगा?
5. एक तरफ कांग्रेस के भीतर ये चर्चा रही है कि, अगर मोदी को रोकने के लिए भविष्य में किसी गैर कांग्रेसी को पीएम बनाने का पेच फंसा तो वो खासकर राहुल नीतीश के नाम पर सहमत हो सकते हैं.
ऐसे में नीतीश का ताजा कदम कितना बड़ा झटका है, इसका अंदाजा लगा ही लीजिए.वैसे सियासी दांव के माहिर नीतीश कुमार पहले भी एनडीए में रहते हुए यूपीए के उम्मीदवार प्रणव मुखर्जी का समर्थन कर चुके हैं. साथ ही मोदी के एनडीए के पीएम उम्मीदवार बनने के बाद एनडीए छोड़ गए और कांग्रेस-लालू के साथ हो लिए. तो क्या अबकी बार नीतीश इसके उलट दिशा में चल पड़े हैं. इस सवाल का जवाब तो बाद में मिलेगा, लेकिन फिलहाल नीतीश ने कांग्रेस और विपक्ष की किरकिरी तो करा ही दी है.
जेडीयू के कोविंद को समर्थन से बैकफुट पर दिखी कांग्रेस
कई बार ये सवाल पूछने पर कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी अपनी एक ही बात दोहराते रहे. मनीष ने कहा कि गुरुवार को विपक्षी दलों की बैठक है. तब तक हालात में कोई बड़ा बदलाव नहीं आने वाला. इसलिए उसका इंतजार करना चाहिए. सवाल घुमा फिरा कर मत पूछिए, मुझे सिर्फ यही कहना है कि, गुरुवार तक प्रतीक्षा करिये.