नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार ने एक नया क्रिमिनिल कोड पेश किया. यह गोपनीय सूचना को प्रकाशित करने, बगैर इजाजत के ऑडियो रिकार्ड करने, या तस्वीर खींचने के लिए जेल की सजा दिए जाने का प्रावधान करता है . हालांकि, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों ने इसे प्रेस की स्वतंत्रता पर रोक करार देते हुए इस कदम की आलोचना की है. वकीलों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि कम्युनिस्ट नीत दो तिहाई बहुमत वाली सरकार नये कानूनों का इस्तेमाल सरकार की आलोचना करने वालों के खिलाफ कर सकती है.
दरअसल, इस सरकार ने असहमति के प्रति असहिष्णुता प्रदर्शित की है. नया क्रिमिनल कोड और क्रिमिनल प्रोसीजर कोड देश की पुरानी विधिक प्रणाली की जगह लेगा. यह आज से प्रभावी हो गया. नियमों का उल्लंघन करने वाले को एक साल की कैद और 10,000 रूपये का जुर्माना, या दोनों दंडों का एक साथ सामना करना पड़ सकता है.
अधिवक्ता दिनेश त्रिपाठी ने कहा कि इन कानूनों का दुरूपयोग पत्रकारों को चुप कराने और खोजी पत्रकारिता को हतोत्साहित करने में किया जा सकता है . नये कानून ने प्रेस की स्वतंत्रता को दांव पर लगा दिया है. नेपाल प्रेस यूनियन के अध्यक्ष बद्री सिगदेल ने कहा कि यह संविधान का पूरी तरह से उल्लंघन करता है और इसका लक्ष्य मुक्त प्रेस को नियंत्रित करना है जो पूरी तरह से अस्वीकार्य है.