देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की कर्मभूमि फूलपुर लोकसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में कांग्रेस अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है. जबकि एक दौर में ये सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट मानी जाती थी. 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के चलते पहली बार बीजेपी का इस सीट पर खाता खुला था. फूलपुर से सांसद रहे केशव मौर्य के पिछले साल डिप्टी सीएम बन जाने के लिए चलते उपचुनाव के लिए आज मतदान हो रहा है.
नेहरू की विरासत फूलपुर
आजादी के बाद पहली बार1952 में लोकसभा चुनाव हुआ तो पंडित जवाहर लाल नेहरू ने इलाहाबाद के फूलपुर संसदीय सीट को अपनी कर्मभूमि के लिए चुना. इसके बाद से लगातार तीन बार 1952, 1957 और 1962 में उन्होंने फूलपुर से जीत दर्ज की थी.
नेहरू के धुरविरोधी रहे समाजवादी नेता डॉ राम मनोहर लोहिया ने 1962 में फूलपुर लोकसभा सीट से उनके सामने चुनावी मैदान में उतरे. हालांकि वो जीत नहीं सके.
नेहरू की विरासत बहन के नाम
नेहरू के निधन के बाद 1964 में उनकी बहन विजय लक्ष्मी पंडित उनकी विरासत को संभालने के लिए फूलपुर से उतरी और जीत दर्ज कर सांसद बनीं. विजय लक्ष्मी ने 1967 में जनेश्वर मिश्र को भी हराया. 1969 में विजय लक्ष्मी ने इस सीट से लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद 1969 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने केशवदेव मालवीय को मैदान में उतारा लेकिन वो जनेश्वर मिश्र को मात नहीं दे सके. इस तरह सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर जनेश्वर मिश्र ने जीत दर्ज की.
कांग्रेस ने सोशलिस्ट पार्टी से इस सीट को छीनने के लिए 1971 में वीपी सिंह के मैदान में उतारा और वो जीत दर्ज करके सांसद बने. इसके बाद 1977 में आपातकाल के दौर में एक बार कांग्रेस के हाथों से ये सीट खिसक गई.