इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, वित्त सचिव हंसमुख अधिया ने बताया कि ज्यादातर लोगों को यह लगा था कि अगर बैंकों में 2.5 लाख रुपए तक जमा करवाया गया तो कोई उन्हें पकड़ नहीं पाएगा। इसलिए उन्होंने अपने सारे बैंक खातों में 2.5 लाख तक रकम जमा करवा दिए।
अधिया ने बताया कि ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिनमें एक ही शख्स ने 20-20 बैंक खाते खुलवा रखे हैं ताकि वो ज्यादा से ज्यादा रकम को छुपा सके। लेकिन पैन कार्ड की सहायता से इन गड़बड़ियों का पता लग गया। अधिया ने बताया कि ऐसे 18 लाख खाते जांच में सामने आए है जिनमें कालाधन जमा करने का अंदेशा है, सरकार की इन खातों पर नजर हैं।
इन खातों में 10 नवंबर से 31 दिसंबर 2016 तक की अवधि के दौरान 4.17 लाख करोड़ रुपये जमा कराए गए थे। विभाग ने इन खाताधारकों को नोटिस भेजना शुरू कर दिया है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के अध्यक्ष सुशील चंद्रा ने बताया कि नोटबंदी के बाद 18 लाख खातों में पुराने 500 एवं 1000 रुपये के नोट के रूप में ज्यादा रकम जमा की गई थी।
बृहस्पतिवार तक ऐसे 13 लाख खाताधारकों को नोटिस भेजा जा चुका है जबकि शुक्रवार तक पांच लाख और खाताधारकों को नोटिस भेज दिया जाएगा। जिन खाताधारकों का ईमेल का पता था, उन्हें ई मेल के जरिये जबकि अन्य खाताधारकों को मोबाइल एसएमएस के जरिए नोटिस भेजा गया है।
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मालूम हो कि अभी दो दिन पहले ही वित्त मंत्रालय ने स्वच्छ धन अभियान शुरू किया है, जिसके तहत सीबीडीटी ने आंकड़ों का विश्लेषण और आयकर दाताओं के प्रोफाइल को जांच कर 18 लाख वैसे लोगों की सूची तैयार की है जिनकी नकदी जमा उनके आमदनी के स्रोत से मेल नहीं खाती। इनमें वे लोग शामिल हैं जिन्होंने नोटबंदी के बाद चलन से हटाए गए नोटों के रूप में पांच लाख रुपये से अधिक की नकदी जमा की है।
सुशील चंद्रा ने बताया कि ऐसे लोगों से स्पष्टीकरण मांगा गया है। वे ऑनलाइन ही (ई फाइलिंग पोर्टल पर) दस दिन के भीतर जवाब दे सकते हैं। जो व्यक्ति इस अवधि के दौरान जवाब नहीं देंगे, उनके ऊपर फिर नियमानुसार कार्रवाई होगी। चंद्रा बजट के बाद बृहस्पतिवार को भारतीय चार्टर्ड अकाउंटेंट संस्थान (आईसीएआई) द्वारा आयोजित संगोष्ठी में भाग लेने के बाद संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे।