बैंकों में जमा हुए इस धन ने टैक्स डिपार्टमेंट को हैरान कर दिया है। हालांकि नोटबंदी के चलते सारा धन संस्थागत में जमा हुआ है। यह धन कॉरपोरेटिव बैकों, फाइनेंस कंपनियों, बिजनेस और सरकारी विभागों और अन्य संस्थाओं में जमा हुआ है। इसके चलते बैंकों में जमा हुए काले धन को पहचानना आसान होगा।
नतीजतन, शुरुआत में 18 लाख ‘संदिग्ध’ बैंक खातों की जांच की जा रही है, इन खातों में 5 लाख रुपये ज्यादा जमा हुए हैं। ये राशि कुल 4.2 लाख करोड़ रुपये होती है। इसकी जांच के लिए संबंधित खाताधारकों को ई-मेल और एसएमएस भेजे गए हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक ‘डाटा एनालिटिक्स कंपनी इस पर काम कर रही है ऐसे में बैंक अकाउंट्स और कैश में लोन भुगतान करने वालों की अधिक विस्तृत जानकारी भी जल्द ही मिल जाएगी। रेवेन्यू विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह एक बार ही की जाने वाली प्रक्रिया नहीं है। हमें पिछले डेढ़-दो साल की जानकारियों का पूरा विश्लेषण करके ऐसे लोगों को पकड़ेंगे जिन्होंने प्रक्रिया का दुरुपयोग किया है। हम इस बात का भी ख्याल रखेंगे कि ईमानदार व्यक्ति को किसी तरह की कोई तकलीफ न हो।’
अधिकारियों का कहना है कि सरकार को अहसास हो गया है कि यह एक मुश्किल काम है। उन्होंने कहा कि यह अधिक मात्रा में कैश जमा करवाने वालों पर परोक्ष रूप से दबाव डालना है कि वे आगे आकर डिस्क्लोजर स्कीम का फायदा उठाकर अपनी संपत्ति का खुलासा करें।
बजट पेश करते हुए वित्तमंत्री ने भी अपने बजट भाषण में कहा था कि दो लाख से 80 लाख रुपये तक की रकम कुल 1.09 करोड़ बैंक खातों में जमा करवाई गई। इस हिसाब से हर बैंक खाते में करीब 5.03 लाख रुपये जमा हुआ है।
80 लाख रुपये से अधिक की रकम कुल 1.48 लाख बैंक खातों में जमा हुई यानी औसतन हर खाते में करीब 3.1 करोड़ रुपये जमा हुआ। इन संख्याओं के जरिए सरकार उस आलोचना का भी देने का प्रयास कर रही , जिसमें यह कहा जा रहा था कि नोटबंदी की इस पूरी प्रक्रिया से काफी गरीब लोगों को नुकसान हुआ और इस पूरी प्रक्रिया में अपेक्षित काला धन नहीं मिला।