हैदराबाद। नोटबंदी के बाद लोगों ने घर में रखे पुराने नोटों से जमकर सोना खरीदा। इनमें हैदराबाद के लोग भी शामिल है जिन्होंने 8 नवंबर से 30 नवंबर के बीच करीब 2700 करोड़ रुपए का सोना खरीदा डाला।

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इतनी बड़ी मात्रा में सोने की खरीद पर प्रवर्तन निदेशालय की निगाहें लगी है। ईडी के मुताबिक यह सोना बिस्किट के रूप में खरीदा गया है। एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक हैदराबाद में इस दौरान करीब आठ हजार किग्रा सोना आयात किया गया था।
नोटबंदी के बाद 1 दिसंबर से 10 दिसंबर तक करीब 1500 किग्रा सोना आयात किया गया। इसका इस्तेेमाल कालेधन को सफेद बनाने में किया गया। ईडी के मुताबिक नोटबंदी के एलान के बाद सोना खरीद कर कालाधन रखने वाले लोगों ने अपने पैसे को सफेद बनाने का किया है। ईडी के मुताबिक आयकर विभाग इस बात का पता लगाएगा कि कहीं ज्वैलर्स ने कालेधन को सफेद बनाने के चक्कर में पुरानी करेंसी को तो स्वीकार नहीं किया है। अगर ऐसा हुआ है तो यह कानून का उल्लंघन है।
हैैदराबाद के ज्वैलर ने माना है कि नोटबंदी के बाद उसके पास में सोने की मांग बढ़ी और कुछ ने सोना खरीद को लेकर एडवांस्ड पेमेंट तक भी दी थी। इस तरह के करीब 5200 ग्राहकों की बात ज्वैलर ने स्वीकार की है। उसके मुताबिक 8-9 नवंबर को देर रात तक दुकान खोली गई थी। इसकी जानकारी देने वाले मुसद्दीलाल ज्वैलर्स ने इस दौरान करीब सौ करोड़ रुपये बैंक में जमा करवाए और चार अलग अलग ज्वैलर्स को यह ट्रांसफर भी किए। ईडी के मुताबिक उन्होंने नोटबंदी के एलान के कुछ घंंटोंं के बाद ही 100 करोड़ रुपये का सोना बेच दिया।
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इसकी जांच के दौरान ईडी ने यह भी पाया है कि सबूत मिटाने के मकसद से दुकान में लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज को भी डिलीट करने की कोशिश की गई। इस बात का पता तब चला जब ईडी ने पड़ोस की दुकान के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज खंगाली। इस दौरान पता चला कि फुटेज में देर रात तक दुकान खुलने और ग्राहकों के आने जाने जैसी कोई सामग्री इसमें नहीं थी।
गौरतलब है कि हैदराबाद में डायमंड इंडिया, एमएमटीसी, एमडी ओवरसीज लिमिटेड, स्टेट ट्रेडिंग कार्पोरेशन जैसे एक्सिस, बैंक ऑफ नोवा स्कोटिया, इंडस इंड, यैस बैंक, आईसीआईसीआई, एसबीआई, एचडीएफसी और कोटेक महेंद्रा के माध्यम से आयात किया जाता है।
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