नोटबंदी के बाद कमजोर पड़ी मांग खासकर सब्जियों के भाव में गिरावट आने से खुदरा महंगाई दर नवंबर में घटकर 3.63 प्रतिशत रह गयी है। खुदरा महंगाई दर जनवरी 2014 के बाद न्यूनतम है। विशेष बात यह है कि खाद्य महंगाई दर भी घटकर 2.11 प्रतिशत पर रह गयी है।
खाद्य वस्तुओं की महंगाई में गिरावट आना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके बढ़ने पर समाज के आर्थिक रूप से कमजोर तबके पर सबसे ज्यादा मार पड़ती है।
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सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के अनुसार खुदरा मूल्यों पर आधारित महंगाई दर इस साल अक्टूबर में 4.20 प्रतिशत तथा पिछले साल नवंबर में 5.41 प्रतिशत थी।
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वैसे पिछले साल अगस्त में भी खुदरा महंगाई दर घटकर 3.66 प्रतिशत के स्तर पर आयी थी। मंत्रालय के अनुसार नवंबर में खुदरा महंगाई दर में गिरावट की एक वजह सब्जियों के भाव में कमी आना है।
नवंबर में सब्जियों की मुद्रास्फीति दर -10 प्रतिशत रही जबकि अक्टूबर में यह -5.74 प्रतिशत थी। इस तरह सब्जियों के भाव में गिरावट का सिलसिला जारी है। हालांकि फलों की मुद्रास्फीति अक्टूबर में 4.42 प्रतिशत के मुकाबले थोड़ी बढ़कर नवंबर में 4.60 प्रतिशत हो गयी।
सरकार के लिए चिंता की बात यह है कि अनाज की कीमतें बढ़ने लगी हैं। नवंबर में अनाज की कीमतों में 4.86 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि अक्टूबर में इसमें 4.40 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। हाल के दिनों में गेहूं की कीमतें बढ़ी हैं जिसके चलते सरकार ने गेंहूं के आयात पर शुल्क हटा दिया है।
वहीं प्रोटीन उत्पाद जैसे मीट और फिश की मुद्रास्फीति नवंबर में 5.83 प्रतिशत रही है जबकि अक्टूबर में यह 6.16 प्रतिशत थी। इसी तरह अंडे की कीमतों में 8.55 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि पिछले महीने इसमें 9.42 प्रतिशत वृद्धि हुई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर को 500 रुपये और 1000 रुपये के पुराने नोट बंद करने की घोषणा की थी। इस घोषणा के बाद मांग में काफी कमी आयी है, जिसका असर महंगाई पर पड़ा है।
खुदरा महंगाई में गिरावट आना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि रिजर्व बैंक अपनी मौद्रिक नीति तय करते समय इसी को संज्ञान में लेता है। रिजर्व बैंक की कोशिश खुदरा महंगाई को मार्च के अंत तक पांच प्रतिशत से नीचे बनाए रखने की है। इस हिसाब से खुदरा महंगाई का ताजा स्तर आरबीआइ के लक्ष्य से काफी नीचे है।