भारत की जीडीपी वृद्धि दर में आई गिरावट के लिए विभिन्न अर्थशास्त्री भले ही नोटबंदी और जीएसटी को वजह बता रहे हैं, लेकिन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने इसकी पीछे तकनीकी कारणों को जिम्मेदार ठहराया है.अभी-अभी: वित्त मंत्री जेटली ने बढ़ते एनपीए के लिए बड़े चूककर्ता ठहराया जिम्मेदार….
शीर्ष उद्योग संगठन FICCI के एक कार्यक्रम में अमित शाह ने साथ ही कहा कि नोटबंदी अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए सरकार द्वारा लिए गए कठिन निर्णयों का एक उदाहरण है. उन्होंने कहा कि नोटबंदी से औपचारिक अर्थव्यवस्था का आकार बढ़ा है. इससे काला धन सरकारी तंत्र में आया है, जिसका इस्तेमाल लोगों के फायदे के लिए किया जा रहा है.
अमित शाह ने कहा, ‘मुझे पूरा यकीन है कि नोटबंदी के कारण औपचारिक अर्थव्यवस्था बढ़ी है. जहां तहां पड़ा पैसा अब अर्थव्यवस्था का हिस्सा है.’ उन्होंने कहा कि इनकम टैक्स जमा कराने वालों की संख्या पिछले तीन साल में 3.7 करोड़ से बढ़कर 6.4 करोड़ हो गई है और 30 करोड़ नए बैंक खाते खुले हैं, जिसने औपचारिक अर्थव्यवस्था में हर किसी को जोड़कर इसे विस्तृत किया है.
इसके साथ ही उन्होंने कारोबार जगत से सरकार द्वारा वैश्विक स्तर पर निर्मित ‘ब्रांड इंडिया’ का फायदा उठाने का आह्वान करते हुए दावा किया कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का सबसे महत्वपूर्ण योगदान लोगों के सोचने का तरीका बदल देना है. उन्होंने कहा कि भारतीय कंपनियों और व्यापार संगठनों को अपने उत्पादों चीज़ों पर पेटेंट हासिल करने पर ध्यान देना चाहिए, ताकि उनकी बनाई संपत्ति देश के भीतर बनी रहे.
अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार अल्पकालिक लाभ के बजाय दीर्घकालिक लक्ष्यों पर ध्यान दे रही है. शाह ने यह बात ऐसे समय में कही है जब रिजर्व बैंक ने बंद किए गए 99 प्रतिशत नोट के वापस बैंकिंग सिस्टम में लौट जाने की बात कही है, जिसके बाद विपक्षी दल नोटबंदी को लेकर नए सिरे से आलोचना कर रहे हैं. बीजेपी अध्यक्ष ने इन आलोचनाओं को खारिज करते हुए कहा कि यूपीए सरकार के समय 2013-14 में जीडीपी वृद्धि दर (सकल घरेलू उत्पाद) 4.7 प्रतिशत थी जो मोदी सरकार में बढ़कर 7.1 प्रतिशत पर पहुंच गई. हालांकि यहां गौर करने वाली बात यह है कि यूपीए सरकार ने अपने कार्यकाल के अंत में जारी रिपोर्ट में दावा किया था कि उनकी सरकार के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था औसतन 7.7 फीसदी की दर से बढ़ी.