नोटबंदी के बाद के कश्मीर घाटी में लश्कर और हिजबुल मुजाहिद्दीन जैसे आतंकी संगठन पाई-पाई के लिए मोहताज हैं. गृह मंत्रालय की ओर से राज्यसभा में दिए लिखित जवाब से यह बात सामने आई है. मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि कश्मीर घाटी में आतंकियों के पास नकदी की भारी कमी है, जिसके चलते आतंकी जम्मू कश्मीर में बैंक लूट की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं.
गृह मंत्रालय ने अपने लिखित जवाब में कहा है, कि पिछले साल जुलाई 2016 से 15 जुलाई 2017 तक जम्मू कश्मीर में बैंक लूट के 9 मामले सामने आए हैं और इनमें से 5 बैंक एटीएम चोरी के मामले भी सूचित किए गए हैं. गृह मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी है कि एक करोड़ 17 लाख 61 हज़ार 550 रुपए लूटे गए जिसमें से एक लाख 99 हजार रुपए सुरक्षा बलों ने अलग-अलग ऑपरेशन में बरामद कर लिए हैं. गृह मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक इस पूरी लूट के कांड में सुरक्षा एजेंसियों ने 10 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है जबकि आतंकी मुठभेड़ के दौरान दो आतंकी मारे गए हैं.
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नोटबंदी से कंगाल आतंकी संगठन
पिछले साल 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा के बाद से लेकर अबतक घाटी में बैंक लूटने की कई घटनाएं हुई हैं. इससे संकेत मिलता है कि आतंकवादियों के पास नकद की कमी हो रही है. केंद्र सरकार की ओर से सख्त नियम लागू किए जाने के कारण हवाला के माध्यम से पैसे का लेनदेन भी रुक गया है. इसके कारण आतंकवादी संगठनों की फंडिंग और उनके वित्तीय संसाधनों पर काफी असर पड़ा है और उनके सामने पैसों की किल्लत पैदा हो रही है.
बैंक लूट के पीछे कई मकसद
हथियार खरीदने और अपने आतंकवादियों को देने के लिए इन आतंकवादी संगठनों को पैसों की जरूरत पड़ती है. ऐसे में अब आतंकियों ने बैंक लूटकर पैसा हासिल करने की नई रणनीति अपनाई है. बैंक लूटने से इन आतंकियों को न केवल एकमुश्त बड़ी रकम मिल जाती है, बल्कि बैंक चूंकि सरकार और प्रशासन की छवि से भी जुड़े हैं, ऐसे में इन्हें लूटकर सरकार की किरकिरी करना भी आतंकियों को आसान तरीका लगता है.
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दक्षिणी कश्मीर में सबसे ज्यादा बैंक लूट
सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक़ दक्षिणी कश्मीर के 4 जिले- पुलवामा, अनंतनाग, शोपियां और कुलगाम में आतंकवादियों की स्थिति बाकी इलाकों की तुलना में ज्यादा मजबूत है. इन चारों जिलों में आतंकियों को बहुत हद तक जनता का भी समर्थन मिलता है. बैंक लूटने और पुलिसकर्मियों से हथियार छीनने की सबसे ज्यादा घटनाएं इन्हीं चारों जिलों में हुई हैं.