ऐसे में आलू की कीमत 12 रुपये से गिर कर नौ रुपये प्रतिकिलो हो गई हैं तो प्याज भी अधिकतम नौ रुपये प्रतिकिलो से छह रुपये पर पहुंच गया है। ऐसा पिछले चार -पांच दिनों से मंडी में सब्जियों के खरीदार की संख्या घटने के कारण हो रहा है।
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जो खरीदार आ रहे हैं, वह भी पहले की तुलना में कम माल खरीद रहे हैं। ऐसे खरीदार, जो छोटी मंडियों के दुकानदार होते हैं, का कहना है कि बाजारों में ग्राहक नहीं आ रहे हैं तो पहले की तरह माल लेना नुकसान का सौदा है। जिसके कारण पहले से आये आलू प्याज मंडी में स्टॉक में बच रहे हैं।
आढ़तियों के सामने पहले से स्टॉक में बची सब्जियों की खपत चुनौती बन रही है। ऐसे में कीमत भी गिर रही है। आलू प्याज मर्चेंट एसोसिएशन के प्रधान राजेंद्र शर्मा कहते हैं कि मंडी में अभी भी आलू प्याज की सौ -सौ गाड़ियां स्टॉक में हैं। हालांकि आढ़तियों के लिए मंगलवार का दिन थोड़ा राहत भरा भी रहा, क्योंकि जहां चार दिनों से मंडी में दुकानदार बड़े नोट लेकर आ रहे थे, अब छोटे नोट मंडी में आने शुरू हो गए हैं।
उनका मानना है कि अगले एक सप्ताह तक छोटे नोटों का फ्लो बना रहा तो स्थिति हद तक सुधर जाएगी। वहीं कई आढ़तियों का यह भी मानना है कि जिस तरह से किसानों को माल लाने से मना कर दिया गया है, उससे स्थिति सामान्य होने के बाद अचानक मांग बढ़ने पर सब्जियों की किल्लत के कारण कीमत में अचानक तेजी आ सकती है।
मंगलवार को टमाटर की थोक कीमत में आई तेजी इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं। टमाटर के कारोबार से जुड़े राजीव ने बताया कि मंगलवार को नासिक से आये उच्चतम गुणवत्ता वाले टमाटर थोक में प्रतिकिलो अधिकतम 20 रुपये किलो तक बिका, जबकि इससे पूर्व 15 रुपये किलो की दर से बिका था।
नोट बंदी के बाद महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश आदि राज्यों से टमाटर की आवक में साठ फीसद की कमी आ गई है। लेकिन दो दिनों से मांग बढ़ रही है, जिसके कारण कीमत में तेजी आ गई।