लखनऊ : एक अपराध को छुपाने के लिए इंसान हमेशा और कई अपराध कर बैठा है। ऐसा ही कुछ किया विकासनगर में रहने वाले पीडब्लूडी कर्मचारी संजय सिंह और उसकी पत्नी सुषमा सिंह ने। पहले तो संजय सिंह ने फर्जी दस्तावेज लगाकर मृतक आश्रित में दूसरे की नौकरी हड़प ली। संजय सिंह का यह राज खुला तो उसको नौकरी से हटा दिया गया। इसके बाद नौकर हथियाने के लिए संजय सिंह ने अपनी झूठी मौत का जाल तैयार किया और गायब हो गया। संजय सिंह की इस घिनौनी हरकत में उसकी पत्नी ने भी उसका साथ दिया। एक लावारिस मरे हुए व्यक्ति को संजय सिंह की पत्नी ने अपना पति बताकर पति की मौत का ड्रामा रचा और फिर पति की जगह नौकर हासिल कर ली। दोनों पति-पत्नी के इस खेल की भनक विकासनगर पुलिस को लगी तो पुलिस ने आरोपी संजय सिंह को तो धर-दबोचा, पर उसकी पत्नी अभी फरार है।
एसपी टीजी दुर्गेश कुमार ने बताया कि विकासनगर के सेक्टर एन-1 निवासी संजय सिंह फैजाबाद में पीडब्लूडी विभाग में क्लर्क के पद पर तैनात थे। वह बीते एक अक्टूबर को घर से दफ्तर के लिए निकले थे। इसके बाद वह लापता हो गये। इस संबंध में उनकी पत्नी सुषमा सिंह ने बीते 3 अक्टूबर को विकासनगर थाने में पति की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करायी थी। सुषमा सिंह ने अधिकारियों पर पति को प्रताडि़त करने का भी आरोप लगाया था। इसके बाद संजय सिंह की गाड़ी लावारिस हालत में बहराइच-नेपाल सीमा पर मिली थी। 19 मार्च को पोस्टमार्टम हाउस पहुंचकर सुषमा सिंह ने एक लावारिस मिले शव की पहचान अपने पति संजय सिंह के रूप में की थी।
इसके बाद सुषमा सिंह उक्त शव को अपने पति का बताते हुए अंतिम संस्कार कर दिया और विधवा की तरह जिंदगी बीतानी शुरू कर दी थी। पति की मौत के नाम पर सुषमा सिंह ने फर्जी दस्तावेज तैयार कर अपने पति की पीडब्लूडी में नौकरी भी हासिल कर ली थी। इस बीच विकासनगर पुलिस को इस बात का पता चला कि सुषमा सिंह ने अपना घर किराये पर दे दिया है और जानकरीपुरम इलाके में किराये के मकान में रह रही है। छानबीन को आगे बढ़ाया गया तो चौकाने वाली बात पुलिस को पता चली। सुषमा सिंह ने अपनी जिस पति को मरा हुआ बताया था वह खुद उसके साथ रह रहा था। इसके बाद इस मामले में विकासनगर पुलिस ने आरोपी संजय सिंह को धर-दबोचा, जबकि सुषमा सिंह फरार है।
नौकरी पाने के चक्कर में खेला था पूरा खेल
संजय सिंह ने बताया कि उसके पिता राजेन्द्र पीडब्लूडी विभाग में कार्यरत थे। उन्हीं के साथ राम अवध मौर्य भी काम करते थे। नौकरी के दौरान ही राम अवध की मौत हो गयी। इसके बाद संजय सिंह ने खुद को राम अवध मौर्य का दत्तक पुत्र बताते हुए फर्जी दस्तावेज के आधार पर नौकर हासिल कर ली। संजय सिंह की इस धोखाधड़ी का पता कुछ समय के बाद विभाग को हो गया। इसके बाद विभाग में उसको नौकरी से बर्खास्त किये जाने की सिफारिश शासन को कर दी। अपनी नौकरी जाती देख संजय सिंह ने अपनी पत्नी के साथ मिलकर अपनी मौत का झूठा ड्रामा रचा और अपनी जगह अपनी पत्नी को नौकरी दिला दी।