पंजाब में खेती में इस्तेमाल होने वाले कीटनाशकों के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए अब पाकिस्तानी मॉडल अपनाने की तैयारी की जा रही है। पाकिस्तानी मॉडल में किसान खेतों व बागों में कीटनाशकों का खुद इस्तेमाल करने की बजाय कंपनियों से उसका इस्तेमाल करवाते हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार की कोशिश है कि लगातार अच्छी फसल के लिए ज्यादा इस्तेमाल हो रहे कीटनाशकों पर लगाम लगाई जाए।
मौजूदा समय में सबसे पंजाब देश में सबसे ज्यादा कीटनाशक का इस्तेमाल करने वाले देश के टाॅप चार राज्यों में शामिल है। सबसे कम कीटनाशक का इस्तेमाल करने वाले राज्यों में सिक्किम सबसे आगे है। सिक्किम के किसान एक साल में केवल तीन टन कीटनाशक का इस्तेमाल करते हैं। फूड बास्केट ऑफ इंडिया के नाम से प्रसिद्ध पंजाब देश का अनाज भंडार भरने में सबसे आगे है। पंजाब में 7912 हेक्टेयर में खेती की जा रही है। यही वजह है कि दुनियाभर की कीटनाशक बनाने वाली कंपनियों की नजर पंजाब पर है।
1975 से लेकर 2018 तक पंजाब में चले आ रहे खेती के ट्रेंड पर नजर डालें, तो सरकारी आंकड़ों के अनुसार 5600 से 6400 टन कीटनाशक का इस्तेमाल पंजाब में हर साल किसान खेती में करते हैं। 6800 करोड़ का कारोबार करने वाली कीटनाशक कंपनियों में भी अपने-अपने उत्पाद बेचने को लेकर कड़ी प्रतिस्पर्धा है।
कीटनाशकों के इस्तेमाल को मंजूरी देने का काम केंद्र सरकार के पास है और राज्य सरकार खराब कीटनाशक बेचने वाली कंपनी के उत्पादों की बिक्री दो से तीन महीने तक प्रतिबंधित कर सकती है। यही वजह है कि देश की तमाम बड़ी कंपनियों के साथ-साथ विदेशी कंपनियां भी इस कारोबार का बड़ा शेयर अपने हिस्से में करना चाहती हैं।
पंजाब में अधिक कीटनाशकों के इस्तेमाल के चलते मिट्टी व हवा प्रदूषित हो रही है। कुदरती खेती एक्सपर्ट भी कहते हैं कि कीटनाशक मित्र कीड़ों को भी मार देते हैं। इसके चलते मिट्टी की उपजाऊ शक्ति भी लगातार कम हो रही है। इसकी भरपाई के लिए किसान ज्यादा खाद का इस्तेमाल कर रहे हैं। यही वजह है कि पंजाब किसान आयोग की तरफ से तैयार की गई नई किसान नीति में इस पर फोकस किया गया है कि किस प्रकार से कीटनाशकों के अधिक से बचा जाए। साथ ही किसानों को गलत कीटनाशकों के इस्तेमाल से होने वाले नुकसान से बचाया जा सके।
किसान आयोग की ओर से तैयार रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर इस बारे में पाकिस्तानी मॉडल को अपनाने पर जोर दिया गया है। पाकिस्तान में किसानों को अपने खेतों या बाग में कीटनाशकों का इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं हैं। वहां पर किसानों के खेतों व बाग में कीटनाशक बनाने वाली कंपनियों की तरफ से उनके कर्मचारियों की ओर से इसका करवाया जाता है। अगर दुष्प्रभाव हुआ तो कंपनी के खिलाफ कारवाई का प्रावधान है। सही रहा तो किसान उसकी कीमत कंपनी को देता है।
किसान आयोग के चेयरमैन अजयवीर जाखड़ बताते हैं कि इसका बड़ा लाभ यह है कि किसानों को कीटनाशकों के लिए मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। दूसरा जितनी मात्र में जिस फसल में इसका इस्तेमाल होना चाहिए उतनी ही मात्र में इस्तेमाल होगा।