नई दिल्ली: जिस ‘किसान आंदोलन’ का समर्थन कर-कर के कांग्रेस पूरे देश में मोदी सरकार के खिलाफ हवा बन रही थी, वही किसान आंदोलन अब उसके ही गले की फांस बनता जा रहा है। एक तो पश्चिम बंगाल में जाकर किसान नेताओं ने ममता बनर्जी के लिए चुनाव प्रचार किया और लेफ्ट पार्टियों व कांग्रेस के गठबंधन को अंगूठा दिखाया, वहीं अब पंजाब के सीएम कैप्टेन अमरिंदर सिंह की अपील का भी किसानों पर कोई असर नहीं हो रहा है।
दरअसल, अमरिंदर ने गत रविवार को ‘भारतीय किसान यूनियन (BKU उग्रहण)’ से आग्रह करते हुए कहा कि वो अपने प्रस्तावित 3 दिन के धरना प्रदर्शन को रोक दे, नहीं तो ये कोरोना का ‘सुपर स्प्रेडर’ बन सकता है। बता दें कि किसान संगठन पंजाब सरकार द्वारा कोरोना के प्रबंधन में नाकाम रहने के विरोध में रैली निकालना चाहता है। शुक्रवार से आरम्भ होने वाला ये विरोध प्रदर्शन दक्षिण-पूर्वी पंजाब के पटियाला से शुरू किया जाएगा।
ये सीएम अमरिंदर के लिए इसीलिए भी साख का सवाल बन गया है, क्योंकि पटियाला न सिर्फ उनका चुनावी क्षेत्र है, बल्कि वो बीते 51 वर्षों से यहाँ के मानद ‘महाराजा’ भी हैं। ये क्षेत्र उनके पुरखों का गढ़ रहा है। सीएम अमरिंदर ने इस आरोप को भी नकार दिया कि वो कोरोना के प्रबंधन में नाकाम रहे हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब का हाल दिल्ली, महाराष्ट्र और यहाँ तक कि उत्तर प्रदेश जैसा न हो, इसके लिए उन्होंने पूरी जान लगा दी है।