शराब की जब भी बात होती है तो पटियाला पेग का जिक्र हमेशा होता है। बोलते सभी है लेकिन सभी को यह जानकारी नहीं होगी कि पटियाला पेग बड़ा क्यों होता है। और इस पेग को पटियाला ही क्यों बोला जाता है चंडीगढ़ या दिल्ली पेग क्यों नहीं।
कहा जाता है कि पटियाला पैग हर कोई सहन नहीं कर सकता, क्योंकि पटियाला पैग में शराब की मात्रा स्मॉल और लार्ज पैग से ज्यादा होती है। वैसे तो ये किसी किताब में नहीं लिखा है लेकिन शराब पीने वालों के अनुसार पटियाला पैग में करीब 120 ML शराब होती है।
इसका मतलब पटियाला पैग में आधा गिलास पानी और आधा गिलास शराब होती है। एक पैग में शराब की मात्रा ज्यादा होने की वजह से बहुत कम लोग ही इसे झेल पाते हैं। अब आपने ये तो जान लिया कि पटियाला पैग रिस्की क्यों होता है और ये क्यों खास होता है।
इसलिए कहा जाता है पटियाला पैग
इसका संबंध से इतिहास है। बताया जाता है कि पटियाला पैग का सीधा संबंध है महाराजा भूपिंदर सिंह से जो कि 1891 से लेकर 1938 तक पटियाला के राजा थे। इन राजा का नाम आपने भी सुन रखा है, लेकिन आपको याद नहीं आ रहा होगा। ये वो महाराजा हैं जिन्होंने अपनी रॉल्स रॉयज से शहर का कचरा उठवाया था। इस किस्से से शायद आप उन्हें जान गए होंगे।
माना जाता है कि भूपिंदर सिंह की एक खास पोलो टीम थी, जिसमें 8 सिख योद्धा थे। एक बार उन्होंने Irish टीम को खेलने के लिए बुलाया था। वहीं खेल से पहले शराब का प्रस्ताव रखा गया, तो विदेशी टीम ने अपनी क्षमता दिखाने के लिए ज्यादा पीना शुरू कर दिया। उसके बाद ज्यादा पी लेने की वजह से वो हार गए, उन्होंने कहा की पैग बड़े बनाए गए थे। तब राजा ने भी बताया कि पटियाला में पैग बड़े ही होते हैं।