बिहार: बिहार के भागलपुर के तातारपुर स्थित एक निजी नर्सिंग होम में एलियन बेबी का जन्म हुआ। तीन लाख में सिर्फ एक ही इस तरह का बच्चा पैदा होता है। आठ माह पहले नागपुर में इस तरह के बच्चे का जन्म हुआ थाए जिसे देश का पहला ष्एलियन बेबीष् माना जा रहा है। इसके बाद तातारपुर में ऐसे बच्चे के जन्म की खबर सुनकर उसे देखने के लिए नर्सिंग होम में भीड़ जुट गई। इससे उसकी मां शहनाई इतनी परेशान हुई कि बच्चे को लेकर दोना गांव चली गयी।
डाक्टर इमराना रहमान ने बताया कि 21 फरवरी को बच्चे का जन्म हुआ था। मेडिकल साइंस में इसे हर्लेक्विन इचथाइयोसिस कहते हैं। यह त्वचा की बीमारी हैए जो किसी बच्चे को मां.बाप की जीन से मिलती है। गर्भ के दौरान ही बच्चे में एबीसी.12 जीन बढऩे से ऐसा विकार होता है, लेकिन गर्भ की जांच में इसका कुछ पता नहीं चलता है। एबीसी.12 जीन की वजह से त्वचा पर लिपिड नहीं पहुंच पाता है और त्वचा काफी सख्त व मोटी हो जाती है। इससे दरार पडऩे लगती है और बच्चे को मूवमेंट में भी दिक्क्त आती है।
डाक्टर रहमान कहत हैं कि इस बीमारी के कारण मौत भी हो जाती है, क्योंकि त्वचा की वजह से शरीर के अंदर का तापमान कंट्रोल नहीं रहता है और डिहाइड्रेशन, ब्रेथलेसनेस, इंफेक्शन की संभावना तेजी से बढ़ती है और फिर बच्चे की मौत हो जाती है। अक्सर ऐसे बच्चे पांच से सात दिन ही जिंदा रहते हैं। ऐसे बच्चों को बचाने के लिए एनआईसीयू में मेडिकल स्पोर्ट पर रखना होता है और यह उपचार काफी खर्चीला होता है। इस वजह से गरीब परिवार बच्चे को बचा पाने में नाकाम रहता है।
विश्व में 175 ऐसे बच्चे जन्मे, सिर्फ दो ही जिंदा हैं
विश्व में अब तक हर्लेक्विन इचथाइयोसिस बीमारी से ग्रस्त 175 बच्चों ने जन्म लिया है। एक जानकारी के अनुसार आठ माह पूर्व लता मंगेशकर हॉस्पिटल नागपुर में इस तरह के बच्चे का जन्म हुआ था। पाकिस्तान और जर्मनी में दो बच्ची जन्म के बाद से अब तक जिंदा है। दोनों की उम्र आज 17-19 साल के आसपास है। दोनों के स्वास्थ्य की नियमित तौर पर जांच होती रहती है।