लखनऊ: बहुबली और कौमी एकता दल के नेता मुख्तांर अंसारी को लेकर राजनीति में अटकेल तेज हो गये हैं। चर्चा ऐसी ही कि मुख्तार अंसारी बसपा का दामन थाम सकते हैं। कहा जा रहा है कि मऊ सदर से मनोज राय का टिकट कटने के बाद मुख्तार को टिकट दिया जा रहा है। इससे पहले ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि वह निर्दलीय कैंडिडेट के तौर पर मैदान में उतर सकते हैं।
अखिलेश सरकार में मंत्री रहे सपा नेता अंबिका चौधरी के बसपा में शामिल होने के 3 दिन बाद मंगलवार को सियासी गलियारों में ऐसी चर्चा रही कि मुख्तार बसपा ज्वाइन कर सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि सपा से टिकट न मिलने और अपने भाई के सपा में शामिल होने के बाद अंसारी ने बसपा नेताओं से मुलाकात की है। हालांकि इस बारे में बसपा के हवाले से कोई बयान नहीं आया है। पिछले साल कौमी एकता दल सपा में शामिल हुआ तो मऊ से सिटिंग एमएलए मुख्तार अंसारी सपा खेमे में विवाद की वजह बने।
अखिलेश अंसारी बंधुओं के खिलाफ थे। कौमी एकता दल को सपा में शामिल कराने के पीछे शिवपाल यादव का अहम रोल थे। हालांकि जब परिवार में चल रही कलह पर अखिलेश की जीत हुई तो कौमी एकता दल के दो सिटिंग एमएलए को टिकट देने से मना कर दिया गया। मुख्तार के चुनाव क्षेत्र मऊ से सपा ने अल्ताफ अंसारी को टिकट दिया। वहीं मुख्तार के भाई सिग्बातुल्लाह अंसारी की सीट मोहम्मदाबाद गोहना से बैजनाथ पासवान को टिकट मिला गया।
बसपा के टिकट पर ही जीता था पहला विधानसभा चुनाव
बता देंए मुख्तार ने पहला विधानसभा चुनाव 1996 में बसपा के टिकट पर ही जीता था। बाद के दो चुनाव वे निर्दलीय कैंडिडेट के रूप में जीते। 2007 में वे दोबारा बसपा में शामिल हुए और 2009 का लोकसभा चुनाव उन्होंने बनारस से मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ लड़ा। इसमें जोशी की जीत हुई थी। जब 2010 में बसपा ने उन्हें क्रिमिनल रिकॉर्ड के चलते पार्टी से बाहर कर दियाए तो उन्होंने अपने भाई अफजाल के साथ कौमी एकता दल बना लिया। इसके बाद उन्होंने 2012 का चुनाव भी जीता।