संजय लीला भंसाली की बहुप्रतिक्षित फिल्म पद्मावती को सेंसर बोर्ड ने कुछ बदलावों के बाद हरी झंडी दे दी है. लेकिन फिल्म पर विवाद अब तक कायम है. पद्मावती पर सेंसर के रवैये को देख पूर्व सेंसर बोर्ड अध्यक्ष पहलाज निहलानी ने सवाल उठाए हैं.
पहलाज निहलानी का कहना है कि फिल्म को सेंसर ने साइडलाइन कर रखा था. नाम से लेकर गाने तक जो भी बदलाव करने के बाद सेंसर ने फिल्म को क्लीयर किया, यह पहले करना चाहिए था. जब मूवी देखने से पहले ही लोगों ने, राजनीतिक पार्टीयों ने इतनी कंट्रोवर्सी कर दी है, तब सेंसर कहां था. पूरे मामले पर सेंसर बोर्ड का रवैया उस पर उसके तरीके पर सवालिया निशान लगाता है.
उन्होंने आगे कहा कि फिल्म को लेकर वोट बैंक की पॉलिटिक्स भी हुई. हाल के चुनाव के बाद अब फिल्म रिलीज होगी. यह फैसला कई राज्यों में इसके विरोध के पहले भी लिया जा सकता था.
आज तक को सूत्रों ने बताया कि सेंसर बोर्ड ने रिव्यू कमेटी की कुछ आपत्तियों को मान लिया है. 28 दिसंबर को हुई मीटिंग में कमेटी ने फिल्म पर कुछ सुझाव दिए थे. बोर्ड का मकसद फिल्म से जुड़े विवाद ख़त्म करना है. बोर्ड ने एक एडवाइजरी पैनल भी बनाया था. रिव्यू कमेटी और एडवाइजरी पैनल की टिप्पणी मिलने के बाद बोर्ड ने विवाद ख़त्म करने के लिए जरूरी सुझाव पद्मावती के निर्माताओं को बताया जिस पर वो राजी हैं. फिल्म में बदलाव के बाद सेंसर इसे पास कर देगा.
संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती को सेंसर बोर्ड ने हरी झंडी दे दी है. CBFC ने रिव्यू कमेटी और एडवाइजरी पैनल की 3 बड़ी आपत्तियों को मान लिया है. सूत्रों के मुताबिक 28 दिसंबर को सेंसर बोर्ड की मीटिंग में कुछ बदलाव के बाद UA सर्टिफिकेट देने का फैसला लिया गया है. सूत्रों ने बताया जैसे ही निर्माता सेंसर के सुझाए बदलाव कर लेंगे फिल्म पास कर दी जाएगी. हालांकि भंसाली या वायकॉम 18 की ओर से अभी इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. इस बीच मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार और करणी सेना ने फिल्म की क्लियरेंस पर सवाल उठा दिए हैं.