पहले जिन बच्चों को क ख ग घ पढ़ने में होती थी दिक्कत, वे अब गीतों को गाकर हासिल कर रहे हैं शिक्षा

 होशंगाबाद ‘धातु में होती है चमक, अधातु में नहीं। धातु को ठोको तो बनती है चादर, अधातु से नहीं। सोना, चांदी, तांबा, जस्ता धातु हैं। कागज, रस्सी, कपड़ा हैं अधातु।’ मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में आदिवासी ग्राम मढ़ई में प्राइमरी कक्षा के विद्यार्थियों इन गीतों को गाकर विज्ञान की शिक्षा हासिल कर रहे हैं। पहले जिन बच्चों को क, ख, ग, घ पढ़ने में भी दिक्कत होती थी, वे अब विज्ञान के गीतों के माध्यम से यह जान चुके हैं कि बिजली से कौन सी चीजों में करंट आता है और कौन सी में नहीं। विद्यार्थियों में गीतों के माध्यम से विज्ञान की यह अलख जगा रही हैं पिपरिया सांडिया शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की शिक्षिका सारिका घारू।

कोरोना काल में वह सुदूर अंचल में ‘टोला टीचिंग’ कर विज्ञान के गीत गुनगुना रही हैं। उन्होंने विज्ञान में रुचि पैदा करने के लिए विज्ञान पर सरल गीत बनाए हैं। जब वह गुनगुनाती हैं तो विद्यार्थियों के साथ विज्ञान भी गुनगुनाने लगता है। ‘हमारे चारों ओर का आवरण पर्यावरण। हमें चारों ओर घेरे हुए है पर्यावरण।पर्यावरण बचाना हो कर्तव्य हमारा..’ इस तरह के रोचक 25 विज्ञान गीतों के एल्बम की मदद से विद्यार्थी विज्ञान से रूबरू हो रहे हैं। सारिका के यह एल्बम आदिवासी इलाके के बच्चों में बेहद लोकप्रिय हो रही है।

हफ्ते में तीन दिन पहुंचती हैं गांवों में 

सारिका ने बताया कि कोरोना संक्रमण ने चारों ओर परिवर्तन किया है। शिक्षा के क्षेत्र में भी इसका व्यापक असर दिखा है। सुदूर अंचल के आदिवासी इलाकों में इंटरनेट नहीं है। ऐसे में यहां के विद्यार्थियों की शिक्षा प्रभावित न हो, इसी उद्देश्य से विज्ञान की शिक्षा देने के लिए टोला टीचिंग शुरू की है। सप्ताह में तीन दिन अलग-अलग गांवों में पहुंचकर विज्ञान का प्रचार-प्रसार किया जाता है।

गीतों के माध्यम से विद्यार्थियों को आसानी से विज्ञान की शिक्षा मिल रही है। सारिका ने अपने स्कूल में समृद्ध विज्ञान की प्रयोगशाला बनाने में अपने वेतन से करीब 80 हजार रुपये दिए हैं। वह कहती हैं कि गीत गाते हुए विज्ञान सीखना विद्यार्थियों को बहुत अच्छा लग रहा है। जल्द ही चलित प्रयोगशाला तैयार करके आदिवासी सुदूर अंचल के विद्यार्थियों की प्रयोगिक शिक्षा दी जाएगी।

कई डिग्रियां की हैं हासिल 

आर्थिक तंगी व सामाजिक असमानता की दुश्वारियों के बीच सारिका ने शासकीय गृहविज्ञान महाविद्यालय होशंगाबाद से जीवविज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की है। इसके बाद कत्थक, संगीत, गायन में प्रमाणपत्र पत्रोपाधि प्राप्त की। फिर अंग्रेजी विषय में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। विगत वर्ष में एनसीएसटीसी, विज्ञान प्रसार और मेपकास्ट द्वारा आयोजित कार्यशालाओं के माध्यम से खगोल विज्ञान, नेचर स्टडी, वैज्ञानिक जागरूकता में प्रशिक्षण प्राप्त किया है। 2018 में सीएसआइआर नई दिल्ली से विज्ञान संचार में नेशनल डिप्लोमा प्राप्त किया है।

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