पाकिस्तान के पहले चंद्र मिशन, आईक्यूब-क़मर (ICUBE-Q), से जुड़ी उम्मीदों को बड़ा झटका लगा है। 3 मई 2024 को चीन के चांग’ई 6 मिशन के साथ लॉन्च किए गए इस उपग्रह से पाकिस्तान ने 1 जुलाई 2024 के बाद से संपर्क खो दिया है। यह उपग्रह पाकिस्तान के अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी संस्थान (IST), अंतरिक्ष और ऊपरी वायुमंडल अनुसंधान आयोग (SUPARCO) और चीन के शंघाई जियाओ टोंग विश्वविद्यालय (SJTU) के संयुक्त प्रयास से विकसित किया गया था। इस उपग्रह का उद्देश्य चंद्रमा की सतह की तस्वीरें लेना और चंद्रमा के अंधेरे हिस्से से नमूने वापस लाने में चीनी मिशन की सहायता करना था।
लॉन्च के बाद पाकिस्तान में इस मिशन को लेकर काफी उत्साह था। पाकिस्तान की मीडिया और नेताओं ने इस मिशन की सराहना की और इसे देश की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में प्रगति का प्रमाण बताया। हालांकि, मिशन के सफल लॉन्च के कुछ समय बाद ही उपग्रह में गंभीर तकनीकी समस्याएं सामने आईं। सूत्रों के अनुसार, इन समस्याओं ने उपग्रह के डिज़ाइन और उपकरणों में गड़बड़ियों की ओर इशारा किया।इस बीच, चीन के डीप स्पेस नेटवर्क (CDSN) ने भी उपग्रह को ट्रैक करना बंद कर दिया है, क्योंकि उनका मानना है कि उपग्रह अब और संचार करने में सक्षम नहीं है।
पाकिस्तान के SUPARCO की स्थापना 1961 में हुई थी, जो भारत के ISRO से आठ साल पहले की बात है। बावजूद इसके, SUPARCO ने अब तक केवल दो उपग्रह लॉन्च किए हैं, जबकि ISRO ने 65 से अधिक उपग्रह और कई अंतरिक्ष मिशन, जैसे चंद्रयान और मंगलयान, सफलतापूर्वक संचालित किए हैं। भारत के चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बाद पाकिस्तान ने भी चंद्रमा तक पहुंचने का सपना देखा, लेकिन अपने उपग्रह की असफलता ने इस प्रयास को बड़ा झटका दिया है। पाकिस्तान के लिए यह एक महत्वपूर्ण सबक है कि अंतरिक्ष अनुसंधान में तकनीकी क्षमता और दीर्घकालिक दृष्टि का महत्व कितना ज्यादा है।